Kartik Month 2023:अचलेश्वर धाम नवमी दसवीं मेला 2023
21 NOVEMBER - 22 NOVEMBER
पंजाब प्रांत के बटाला नगर से लगभग 8 किमी दूर श्री अचलेश्वर धाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी और दसवीं तिथि को दो दिवसीय मेला लगता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु और साधू संत दूर- दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर परिसर में बहुत खूबसूरती से सजाया जाता है। श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाएं जाते हैं।
अचलेश्वर धाम की कथा
प्रचलित कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और मां पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों में से एक को उत्तराधिकारी बनाने के लिए एक प्रतियोगिता रखी। उन्होंने कहा कि जो भी सबसे पहले ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर वापस लौट कर आएगा उसे हम अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देंगे। कार्तिक जी अपने वाहन मोर पर और गणेश जी अपने वाहन मूषक पर निकल पड़े।
गणेश जी को रास्ते में नारद जी मिले और गणेश जी ने नारद जी की सारी बात बताई। नारद जी कहने लगे कि माता पिता के चरणों में तीनों लोक है। यह सुनकर गणेश जी वापिस लौट गए और उन्होंने भगवान शिव और मां पार्वती की तीन परिक्रमा कर उनके चरणों में प्रणाम किया। भगवान शिव ने उनके लौटने का कारण पूछा तो गणेश जी कहने लगे कि शास्त्रों के अनुसार माता पिता के चरणों में तीनों लोक है। उनकी बुद्धि से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
यह सब देख नारद जी कार्तिक जी के पास पहुंचे और उन्हें भगवान शिव का फैसला सुना दिया। उस समय कार्तिक जी जहां पर थे वहीं पर अचल हो गए और उन्होंने निर्णय लिया कि मैं इसी स्थान पर अचल रहूंगा। श्री अचलेश्वर महादेव वहीं स्थान है।
नारद जी ने सारा प्रसंग कैलाश जाकर भगवान शिव और मां पार्वती को सुनाया। कार्तिक जी को मनाने के लिए भगवान शिव और मां पार्वती सहित 33 करोड़ देवी-देवता वहां पहुंचे।
कार्तिक जी ने भगवान शिव को जब इसी स्थान पर अचल रहने का निर्णय सुनाया तो भगवान शिव ने उन्हें अचलेश्वर महादेव का नाम दिया और कहा कि यहां पर नवमी पर्व जाएगा जिसमें सभी देवी देवता सम्मिलित होंगे और सभी भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। श्री अचलेश्वर धाम में एक पवित्र सरोवर है जिसके बारे में मान्यता है कि जो भी 40 दिनों तक लगातार इसमें स्नान करता है उसको मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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