Prathana Aur Paryas kaise kare
कहते हैं कि,"प्रार्थना ऐसे करो जैसे सब कुछ ईश्वर पर निर्भर हो,और प्रयास ऐसे करो जैसे सब कुछ आप पर निर्भर हो।" ईश्वर भी उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद आप करते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि जो पूरे तन मन से किसी काम को करने की कोशिश करते हैं ईश्वर उनको कोई ना कोई रास्ता दिखा देते हैं। इस कथन को सत्य करती एक हृदय स्पर्शी कहानी जो सच में आपके मन को कही ना कही छू जाएगी।
एक बार एक सज्जन व्यक्ति देखते हैं कि एक छोटा सा बच्चा हर एक मेडिकल स्टोर पर कुछ मांगने जा रहा था और प्रत्येक बार मेडिकल स्टोर से वह निराश होकर लौट आता था। जिस दुकान के बाहर वह सज्जन खड़े थे वहां से भी वह बच्चा निराश हो कर लौट आया। बच्चे की निराशा को देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने बच्चे को रोक कर पूछा कि," बेटा तुम ऐसी कौन सी दवा ढूंढ रहे हो जो पूरी मार्केट में किसी के पास नहीं है।"
बच्चे का उत्तर सुनकर वह निशब्द से हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए। उस बच्चे ने बताया कि उसकी मां को हृदय रोग हो गया है और डाक्टर ने कहा है कि मेरी मां आपरेशन से ठीक हो सकती है। मेरे पिता जी कहते हैं कि," उनके पास आपरेशन के पैसे नहीं हैं। इसलिए "ईश्वर का चमत्कार" ही तुम्हारी मां को बचा सकता है।"
इसलिए वह दोनों ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे ईश्वर आप के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है ,हे प्रभु! कोई तो चमत्कार दिखाओ।
मुझे अपने पिता की बात ज्यादा कुछ समझ नहीं आई लेकिन मुझे इतना समझ आ गया कि ईश्वर का चमत्कार मेरी मां को बचा सकता है। इसलिए मैंने अपनी गुल्लक तोड़ी तो उसमें से कुछ सिक्के निकाले जिसे लेकर मैं हर एक मेडिकल स्टोर से ईश्वर का चमत्कार मांग रहा हूं।
लेकिन मेरी बात सुनकर कोई डांट कर भगा देता है, और कोई हंस कर कहता है कि आगे जाकर ढूंढो अपने ईश्वर का चमत्कार। बच्चे की बात उस सज्जन के दिल को छू जाती है। बच्चा उनसे कहता है, "मैं हार नहीं मानूंगा, प्रयास करता रहूंगा, कहीं ना कहीं से तो मुझे ईश्वर का चमत्कार जरूर मिल जाएगा जिससे मेरी मां का आप्रेशन हो जाएगा।"
यह ईश्वर का संयोग ही था कि जिस सज्जन को बच्चा अपनी कहानी सुना रहा था, वह शहर के जाने-माने हार्ट सर्जन थे। वह उस जगह इसलिए खड़े थे क्योंकि उनकी कार का टायर पंचर हो गया था और उनका ड्राइवर कार का पहिया बदल रहा था। वह समझ चुके थे कि इस जगह पर उनकी कार का पंचर होना और इस बच्चे का मिलना मात्र संयोग नहीं है। इस बच्चे की सच्ची कोशिश और उसके माता-पिता की प्रार्थना के कारण ही ईश्वर ने मुझे इससे मिलवाया है।
उन्होंने उसी समय अपने हास्पिटल से एंबुलेंस बुलाई और उस बच्चे के साथ उसके घर गए। उन्होंने बच्चे के पिता को अपना परिचय दिया और उनसे उनकी पत्नी की बिमारी के बारे में विस्तार से चर्चा की। बच्चे का पिता कहने लगे कि डाक्टर साहब हमारे पास ईलाज के लिए पैसे नहीं हैं।
डॉक्टर साहब कहने लगे कि आपको पैसे देने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपके ईलाज के पैसे मुझे मिल गए हैं। डॉक्टर साहब ने बच्चे से एक सिक्का ले लिया था जब उसने कहा था कि ,"मैं इन पैसों से ईश्वर का चमत्कार ढूंढ रहा हूं।"
वह मासूम तो जानता ही नहीं था कि उसकी मां के ईलाज में कितना खर्चा होगा। उसका तो केवल यही प्रयास था कि किसी तरह उसे "ईश्वर का चमत्कार" मिल जाए जिससे उसकी मां की जान बच जाए। वह अपनी आयु के हिसाब से हर संभव प्रयास कर रहा था इसलिए वह प्रत्येक दुकान पर जाकर ईश्वर का चमत्कार ढूंढ रहा था फिर भी उसने हार नहीं मानी थी।
आज से पहले डॉक्टर साहब को ईश्वर के चमत्कार की ऐसी अनुभूति कभी नहीं हुई थी। बच्चे की इस कोशिश को देखकर ना केवल डॉक्टर साहब ने उसकी मां का मुफ्त इलाज किया बल्कि उस बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने की जिम्मेदारी भी ली।
सच ही कहते हैं प्रार्थना और प्रयास सच्चे मन से किया जाए तो ईश्वर किसी ना किसी रूप में आपकी मदद जरूर करते हैं।
Message to Author