SHIVA MANTRA IN SANSKRIT

SHIVA MANTRA IN SANSKRIT SHIVA QUOTES IN SANSKRIT Shiva mantra in hindi   भगवान शिव के मंत्र संस्कृत में 

भगवान शिव के मंत्र संस्कृत में 

हिन्दू सनातन धर्म में भगवान शिव प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं।भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

 सावन मास भगवान शिव को अति प्रिय है। सावन मास में भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने हेतु उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त उनकी आरती, चालीसा और मंत्र का जप करते है।पढ़ें भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध मंत्रों के बारे में 

SHIVA MANTRA IN SANSKRIT WITH MEANING IN HINDI

कर्पूरगौरं करुणावतारं 
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे 
भबं भवानीसहितं नमामि।।

अर्थात- जो कर्पूर समान गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार है, सम्पूर्ण विश्व के सार है और गले में भुजंगों का हार धारण करते हैं, ऐसे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे हृदय में सदैव निवास करें और उनको मेरा नमस्कार है।

देवी- देवताओं की आरती के पश्चात भगवान शिव का मंत्र बोला जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यह स्तुति भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह के समय बोली थी। इस स्तुति में भगवान शिव के दिव्य स्वरूप का वर्णन किया गया है।

ॐ नमः शिवाय

भावार्थ - मैं भगवान शिव को नमन करता हूं। 

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त इस मंत्र का जप करते हैं। इसे शिव पञ्चाक्षर मन्त्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि 
 तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।।

भावार्थ - मैं महान पुरुष सर्वोच्च देवाधिदेव का ध्यान करता हूं जो महान, असीम और सर्वज्ञ हैं। वह मुझे अपनी शरण में लेकर मेरी बुद्धि को प्रकाशित कर ज्ञान के लिए उचित मार्गदर्शन करें अर्थात प्रेरित करें।

यह शिव गायत्री मंत्र है। भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इसका जप करते हैं।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

भावार्थ- हम भगवान शिव को पूजते हैं, जिनके त्रिनेत्र है जो सुगंधित हैं और सभी जीवों को पोषण प्रदान करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

यह भगवान शिव का शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। मार्कण्डेय जी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की थी।

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। 
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं।
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं ।।

भावार्थ - हे मोक्ष रूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेद स्वरूप ईशान दिशा के ईश्वर और सबके स्वामी भगवान शिव जी, मैं आपको नमस्कार करता हूंँ। निज स्वरूप में स्थित, गुणों से रहित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं। 
यह शिव रूद्राष्टकम का श्लोक है। इसकी रचना तुलसीदास जी ने की है।

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