ग्रिटीट्यूड का अर्थ और कहानी हिन्दी में
Gratitude meaning in hindi- Gratitude का अर्थ कृतज्ञता ,आभार प्रकट करना, धन्यवाद करना होता है।
Gratitude में बहुत शक्ति होती है। Gratitude करने से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है। हमें ईश्वर ने जो कुछ भी दिया है उसके लिए हमें ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। हमारी हर एक सांस के लिए ईश्वर का आभार, मुश्किल वक्त में जब हमें समझ नहीं आता कि आगे क्या किया जाए ? उन परिस्थितियों में रास्ता दिखाने के लिए आभार।
ईश्वर द्वारा दी गई हर एक चीज के लिए आभार प्रकट करें । इस परिवार के लिए क्योंकि कुछ लोगों के पास तो परिवार ही नहीं है । ईश्वर का शुक्रिया करें अपनी नौकरी, कारोबार,अच्छी सेहत के लिए। ईश्वर की दी हुई हर एक चीज लिए जो उसने आपको सहज ही दी।
Gratitude करने का यह लाभ होता है कि हमारी बहुत सी शिकायतें ख़त्म हो जाती है। जब हमारी जिंदगी शिकायतें कम होती है तो अपने आप नकारात्मक सोच कम हो जाती है। जब नकारात्मक सोच कम होगी तो अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। ग्रिटीट्यूड का महत्व हम नीचे दी गई कहानियों से समझ सकते हैं।
GRATITUDE STORY IN HINDI
एक बार एक राजा का कोई पुत्र नहीं था। जब वह वृद्ध हुआ तो एक दिन उसने घोषणा करवा दी कि प्रातः जो भी पहला व्यक्ति नगर में प्रवेश करेंगा उसे इस राज्य का अगला राजा बन दिया जाएगा। अगले दिन एक लड़का फटे पुराने कपड़ों में नगर में दाखिल हुआ। राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और अपनी पुत्री का विवाह उससे कर दिया।
लड़का बहुत होशियार और समझदार था इसलिए कुछ ही समय में उसने राज कार्य सीख लिए। राजा के देहांत के पश्चात उसे राजगद्दी प्राप्त हो गई। उसके शासन से प्रजा भी बहुत खुश थी। राजा बनने के पश्चात वह हर रोज एक कोठरी में जाता जिस पर हमेशा एक बड़ा सा ताला लगा रहता। राजा के सिवाय किसी को उसमें जाने की अनुमति नहीं थी।
राजा के मंत्रियों के मन में बहुत बार शंका उत्पन्न होती कि आखिर राजा ने इसमें ऐसा क्या छिपा रखा है? राजा हमेशा अकेला वहां पर जाता और कुछ समय अकेले में बिताता। एक दिन सेनापति ने राजा से पूछा ही लिया कि महाराज! आप इस कोठरी में क्यों जाते हैं? राजा ने उसे डांटते हुए कहा कि तुम एक राजा से ऐसे सवाल नहीं पूछ सकते? मंत्री के मन की शंका ओर बढ़ गई।
उसने रानी को भड़का दिया कि महाराज हर रोज कोठरी में अकेले कुछ समय बिताते हैं। किसी को भी उस कोठरी का रहस्य नहीं पता कि उसके अंदर आखिर उन्होंने क्या छिपा कर रखा है? इतना सुनते ही रानी ने हठ कर दिया कि मुझे तो अभी देखना है कि कोठरी में आपने क्या छिपा रखा है। पत्नी के हठ के आगे राजा की एक ना चली।
राजा ने जब अपनी पत्नी और मंत्रियों के समाने कोठरी का दरवाज़ा खोला तो उसमें राजा के वहीं फटें पुराने कपड़े टंगे हुए थे जो उसने राजा बनने से पहले पहने थे। रानी ने हैरानी से पूछा - इन कपड़ों को देखने आप हर रोज़ क्यों आते हैं?
राजा बहुत विनम्रता से बोला - इन कपड़ों को देखकर मैं हर रोज ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूं कि मेरी कुल जमा पूंजी तो केवल यह फटे पुराने कपड़े ही थे। यह तो ईश्वर की रहमत थी कि इसने मुझे रंक से राजा बना दिया। जब भी मुझे लगता है कि मेरे अंदर घमंड आ गया है तो मैं यहां आकर मेरा घमंड चूर हो जाता है कि मेरी औकात तो यह थी। ईश्वर तेरा शुक्रिया जो तुमने मुझे इस लायक बना दिया। राजा ने कहा कि इस कोठरी में आकर मैं हर रोज़ ईश्वर द्वारा मुझे दी गई हर सुख सुविधा के लिए धन्यवाद कहता हूं। उसका धन्यवाद करने से मेरे अंदर घमंड नहीं आता और अंदर की मैं खत्म हो जाती है।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें ईश्वर ने जो कुछ भी दिया है हमें उसके लिए सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए। क्योंकि इसकी शक्ति के बिना हमारी तो इतनी भी औकात नहीं कि एक सांस के बाद दूसरी सांस ले सकें।
ग्रिटीट्यूड की कहानी
एक बार कबूतर रेगिस्तान से गुजर रहा था। वहां उसने एक पक्षी को देखा जो उड़ नहीं सकता था, उसके आसपास खाने के लिए कोई पेड़ नहीं था, पीने के लिए पानी नहीं था। उसकी स्थिति बहुत ही दयनीय थी।
पक्षी ने कबूतर से पूछा कि आप कहां जा रहे हैं? उसने कहा कि ,"मैं देवदूत से मिलने जा रहा हूँ।"
पक्षी ने उनसे विनती की कि आप उनसे पूछना कि," मेरे दुःख और कष्ट कब समाप्त होंगे?"
कबूतर ने वहां पहुंच कर देवदूत को पक्षी की दयनीय स्थिति के बारे में बताया और पूछा उसे कष्टों से मुक्ति कब मिलेगी?
देवदूत कहने लगे कि," वह पक्षी अपने पिछले जन्म के कर्मों का फल भुगत रहा है। आने वाले सात साल तक उस पक्षी के लिए कष्ट लिखा है।"
यह सुनकर कबूतर ने कहा - यह सुनकर वह पक्षी हताश हो जाएगा और उसकी जीने की इच्छा समाप्त हो जाएगी। इसलिए कोई ऐसा उपाय बताए जिससे उस पक्षी में जीने की उम्मीद जाग जाए।
देवदूत कहते हैं कि,"उस पक्षी से कहना कि चाहे कितनी भी कष्ट कारक परिस्थितियां हो उसे हर परिस्थिति में कहना कि ईश्वर तेरा धन्यवाद।" कबूतर यह संदेश पक्षी को दे देता।
कबूतर कुछ दिनों पश्चात पुनः उस रेगिस्तान से गुजर रहा था तो वहां का नजारा देखकर वह विस्मित हो गया। उस पक्षी के पंख निकल आएं थे, वहां पानी का छोटा सा तालाब बन गया था, वहां एक एक छोटा सा हरा भरा पौधा उग आया था। पक्षी बहुत प्रसन्न लग रहा था। यह सबकुछ देखकर कबूतर सीधा देवदूत के पास पहुंचा।
कबूतर ने उनसे पूछा - आपने तो कहा था कि उस पक्षी के अगले सात जन्म कष्टकारी है लेकिन मैं जो नज़ारा देखकर आया हूं वह तो उसके विपरीत है। कबूतर ने पूछा- कृपया मुझे बताएं यह सब कुछ कैसे संभव हुआ?
देवदूत ने कहा- जब तुम ने उस पक्षी से बोला कि अपनी हर परिस्थिति के लिए ईश्वर को धन्यवाद कहना तो उसने उसी क्षण से वैसा करना शुरू कर दिया।
अगर वह गर्म रेत में गिर जाता तब भी वह कहता कि ईश्वर तेरा धन्यवाद। शायद तुमने इसमें मेरे लिए कुछ अच्छा सोच रखा है। पक्षी के पास आश्रय नहीं था तब भी उसने कहा ईश्वर तेरा धन्यवाद। जहां तक कि प्यास लगने पर पानी नहीं था और भूख लगने पर खाने को भोजन नहीं था, फिर भी उसने कहा ईश्वर तेरा धन्यवाद। हे ईश्वर! इन सब परिस्थितियों के बावजूद मैं जिंदा हूं उसके लिए आपका धन्यवाद।
ऐसा करने पर उसमें सकारात्मक ऊर्जा जागृत हो गई और उसमें जीवन की चाह बरकरार रही। वह हर परिस्थिति का सामना करने को तैयार था। उसने अपनी हर परिस्थिति के लिए ईश्वर का धन्यवाद किया जिससे उसके सात साल के कष्ट कुछ ही दिनों में समाप्त हो गए। इसलिए कहते हैं कि ईश्वर को किए गए शुकराने में बहुत ताकत होती है। क्योंकि हम जो पूरा जीवन नहीं कर सकते वह ईश्वर क्षण भर में कर सकते हैं।
शिक्षा - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सदैव ईश्वर का आभार व्यक्त करे। जहां हमारी हर कोशिश खत्म हो जाती है वहां उसकी रहमत शुरू हो जाती है।
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