मित्रता पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित
मित्रता का रिश्ता ऐसा रिश्ता होता है जो व्यक्ति स्वयं बनाता है। सबसे अच्छी और मासूम दोस्ती बचपन की होती है। जब ना दोस्ती का मतलब पता होता है और ना ही मतलब की दोस्ती होती है। एक अच्छा दोस्त दुःख-सुख में सदैव साथ रहता है। भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता और श्री कृष्ण और अर्जुन की मित्रता की मिसाल आज तक दी जाती है।
एक सच्चा मित्र हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता है। मित्रता का रिश्ता भी विश्वास और समर्थन पर निर्धारित होता है। कहा जाता है कि एक सच्चा मित्र दर्पण की तरह होता है। अच्छा मित्र बिना कुछ कहे, बिना किसी फायदे नुकसान का आंकलन किए हर समय हमारी मदद के लिए तैयार रहता है। लेकिन वह हमारे हमारे गलती करने पर हमें डांटते हैं और अच्छा करने पर प्रोत्साहित करते हैं।
Friendship day 2024: मित्रों द्वारा हमारे जीवन में दिए गए योगदान को सम्मानित करने के लिए हर साल अगस्त महीने के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाया जाता है। 2024 में मित्रता दिवस 4 अगस्त को मनाया जाएगा। पढ़ें मित्रता पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित
Friendship Day quotes in Sanskrit with meaning in hindi
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः।।
भावार्थ- इस संसार में चन्दन को सबसे अधिक शीतल माना गया है लेकिन चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल होता है परन्तु एक अच्छे मित्र की संगति चन्द्रमा और चन्दन दोनों से शीतल होती हैं।
वर्जयेतादृशं मित्रं विष कुम्भम् पयो मुखम्।
भावार्थ - ऐसे मित्र को त्याग देना चाहिए जो पीठ पीछे काम बर्बाद करते हैं और सामने मीठा बोलते हैं क्योंकि ऐसे मित्र विष भरे घड़े के ऊपर रखे दूध के समान है।
मानोन्नतिं दिशति पापमपा करोति।।
भावार्थ - अच्छे दोस्तों का साथ बुद्धि की जटिलता को हर लेता है और हमारी बोली सच बोलने लगती है, सच्चे मित्र के साथ से मान और उन्नति बढ़ोतरी होती है और पाप मिट जाते है|
आदानमग्रतः स्थानं मैत्रीभङ्गस्य हेतवः ॥
भावार्थ - वाद-विवाद, धन द्वारा सम्बन्ध बनाना, माँगना, अधिक बोलना, ऋण लेना, आगे निकलने की चाह यह सब मित्रता टूटने की वजह बनते है।
कार्यकारणतश्चान्ये भवन्ति हितबुद्धयः।।
भावार्थ- माता-पिता और मित्र हमारे कल्याण के लिए में निःस्वार्थ भाव से सोचते हैं इनके अलावा अन्य सभी अपने स्वार्थ से ऐसी भावना रखते हैं।
राजद्वारे श्वशाने च यस्तिष्ठति स वान्धवः ।।
भावार्थ - अच्छा मित्र वही है जो रोग से पीड़ित होने पर, विपत्ति में, अकाल के समय , अकस्मात शत्रु से घिर जाने पर, किसी आरोप में राज दरबार जाने और श्मशान भूमि में भी आपका साथ देता है वहीं सच्चा मित्र हैं।
आढ् यतो वापि दरिद्रो वा दुःखित सुखितोऽपिवा।
निर्दोषश्च सदोषश्च व्यस्यः परमा गतिः॥
भावार्थ - धनवान हो या दरिद्र, दुःखी हो या सुखी, निर्दोष हो या सदोष – मित्र ही मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा होता है।
तन्मित्रं यत्र विश्वासः
भावार्थ - मित्र वही है जिस पर विश्वास कर सके।
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