बड़ा मंगलवार पर पढ़ें श्री राम और हनुमान जी के प्रथम मिलन की कथा
BADA MANGAL 2024: हनुमान जी श्री राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार और हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं।
हनुमान जी के भक्तों के लिए ज्येष्ठ मास के मंगलवार का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ मास में आने वाले मंगलवार को बड़ा मंगलवार कहा है। ऐसा माना जाता है कि श्री हनुमान जी ज्येष्ठ मास के मंगलवार के दिन ही श्री हनुमान जी की मुलाकात श्री राम से हुई थी। 2024 में बड़ा मंगलवार 28 मई को पड़ रहा है।
Where did Hanuman first meet lord Shri Ram: जब सुग्रीव ने दो सुंदर युवकों को ऋष्यमूक पर्वत पर देखा तो उन्होंने हनुमान जी को भेद जानने के लिए भेजा कि पता लगाकर आओ कि यह दोनों सुंदर कुमार कौन है?
हनुमान जी ब्राह्मण का रूप धारण कर श्री राम और लक्ष्मण जी के समक्ष पहुंचे। सुग्रीव जानना चाहते थे कि कहीं दोनों को उसके भाई बालि के भेजे हुए तो नहीं है।
हनुमान जी श्री राम और लक्ष्मण जी के स्वरूप को देखकर भाव विभोर हो जाते हैं। वह श्री राम और लक्ष्मण जी से पूछते हैं कि क्या आप ब्रह्मा विष्णु महेश में से कोई एक हो या फिर स्वयं नर नारायण हो।
श्री राम अपना परिचय देते हुए कहते हैं कि हम दोनों अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र हैं और हमारा नाम राम और लक्ष्मण है। हम यहां अपने पिता के वचन का पालन करने के लिए वनवास काटने वन में आएं थे। मेरे साथ मेरी पत्नी भी थी जिसका अपहरण कर एक राक्षस ले गया है। हम दोनों यहां उस सुकुमारी की खोज में आये है।
श्री राम का नाम सुनते ही हनुमान जी उनके चरणों में गिर पड़े और अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए। श्री राम जानते थे कि यह मेरा अनन्य भक्त हैं इसलिए श्री राम ने हनुमान जी को अपने हृदय से लगा लिया।
हनुमान जी ने श्री राम की मित्रता सुग्रीव से करवाई और बालि का वध करने के पश्चात श्री राम ने सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा बना दिया। किष्किन्धा का राजा बनने के पश्चात सुग्रीव ने वानर सेना को सीता माता को खोजने के लिए भेजने की योजना बनाई।
श्री राम का हनुमान जी को अपनी मुद्रिका देना
जब वानर सेना सीता जी को खोजने के लिए जा रही थी तब सारी वानर सेना ने श्री राम से आज्ञा ली। हनुमान जी ने सबसे अंत में श्री राम से आज्ञा मांगी तो श्री राम ने हनुमान जी को अपनी मुद्रिका दी और कहा कि इसे सीता को देकर मेरा संदेश दे देना।
हनुमान जी सिर निवाकर वानर सेना के साथ सीता जी की खोज में निकल पड़े। जब सम्पाति ने उन्हें सीता जी का पता बताया तो हनुमान जी समुद्र लांघकर लंका पहुंच गए। वहां सीता जी का पता लगाया और सीता माता को श्री राम की मुद्रिका दी और संदेश दिया।
उसके पश्चात रावण को राम के दूत का बल दिखाने के लिए अशोक वाटिका उजाड दी। जब रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजा तो हनुमान जी ने उसका वध कर दिया। मेघनाद हनुमान जी को ब्रहस्त्र चला कर बांध कर लें गया। जब रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई तो हनुमान जी ने उसी आग से लंका नगरी को जला दिया। उसके पश्चात हनुमान जी सीता माता का संदेश और चूड़ामणि लेकर वानर सेना सहित किष्किंधा लौट आए। श्री राम ने हनुमान जी को अपने हृदय से लगा लिया। जामबन्त जी श्री राम से कहते हैं कि प्रभु हनुमान ने जो किया है उसका वर्णन हजारों मुख से भी नहीं किया जा सकता। श्री राम हनुमान जी से कहते हैं कि हनुमान तुम्हारे समान उपकारी कोई नहीं हो सकता।
हनुमान जी कहने लगे कि ," प्रभु इसमें मेरी कोई बड़ाई नहीं है, जिस पर आपकी कृपा होती है उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं है। हे नाथ! आप मुझे अपनी भक्ति प्रदान करें।"
श्री राम ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को आशीर्वाद दिया।
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