SHARAD PURNIMA ME KHEER KA MAHATAV

SHARAD PURNIMA PER KHEER KA MAHATAV SIGNIFICANCE OF KHEER ON SHARAD PURNIMA Sharad purnima significance

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व 

हिंदू धर्म में अश्विन मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन चंद्रमा और महालक्ष्मी की पूजा की जाती है . इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी. माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था इसलिए इसदिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन ,वैभव और सुख समृद्धि प्राप्त होती है
शरद पूर्णिमा को कोजागरी और रास पूर्णिमा और कमला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लक्ष्मी नारायण के साथ शिव पार्वती, और राधा कृष्ण की पूजा करते हैं. 
इस दिन श्री कृष्ण ने गोपियों के संग रास लीला की थी इसलिए इसको रास पूर्णिमा भी कहा जाता है

शरद पूर्णिमा का महत्व Sharad Purnima Significance 

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है जिसके कारण उसकी किरणों का प्रभाव पृथ्वी पर बहुत अधिक होता है. माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है.शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों के नीचे रखी जाती है .

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

चंद्रमा को मन और औषधि का देवता माना गया है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और चंद्रमा की किरणों से धरती पर अमृत वर्षा होती है  शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में दूध से बनी खीर चांदी के बर्तन में रखने का विधान है क्योंकि खीर में मौजूद चावल, दूध, और चीनी सभी चंद्रमा के कारक है 
इसलिए जब शरद पूर्णिमा की रात्रि को खीर में चंद्रमा की किरणें पड़ती है तो माना जाता है कि खीर अमृत तुल्य हो जाती है और चांदी के बर्तन में खीर इसलिए रखी जाती है क्योंकि चांदी में रोग प्रतिरोध क्षमता अधिक होती है इसलिए कोशिश करें कि खीर चांदी के बर्तन में रखें 
खीर को लक्ष्मी नारायण को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें खीर में पित्तशामक , शीलत और सात्विक गुण विद्यमान होते हैं जिससे वर्ष भर आरोग्यता रहती है इसके साथ साथ माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों में रखी खीर दमा रोग के रोगियों के लिए भी विशेष फलदायी है।
पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए . उनको धूप, दीप,पुष्प चढाएं।
भगवान विष्णु के मंत्र का जप करें.सत्यनारायण भगवान की कथा और आरती करें।
माँ लक्ष्मी की पूजा करे .इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और भगवान शिव की पूजा भी फलदायी होती है।

पूर्णिमा को पवित्र नदी में स्नान एवं व्रत, दान  का विशेष महत्व है।

किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ फलदायी होता है लेकिन अगर नदी पर स्नान ना कर सके तो घर पर ही स्नान करते समय गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं।
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का भी विशेष विधान है . माना जाता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती है. जो लोग रात्रि को मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं धन की देवी उनके घर में वास करती है।
इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से धन में वृद्धि होती है ।
इस दिन संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए. 
सत्यनारायण की कथा करनी चाहिए.

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