FRIDAY, DECEMBER 22
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और महत्व
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास की शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी के नाम से ही ज्ञात होता है कि इस एकादशी के व्रत को करने से मोक्ष प्राप्त होता है। इस एकादशी का फल पितरों के निमित्त देने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और व्यक्ति को पित्र दोष से मुक्ति मिलती है इस व्रत का फल अनंत है. इस दिन का महत्व इस लिए भी अधिक है क्योंकि माना जाता है कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को श्री मद् भागवत गीता का उपदेश दिया था. इस लिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.
मोक्षदा एकादशी व्रत महत्व
मोक्षदा एकादशी का व्रत रखना बहुत फलदायी माना जाता है क्योंकि अगर इस व्रत का पुण्य पितरों को अर्पित कर दिया जाए तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी के दिन दिन किए गए दान का महत्व बाकी दिनों में किए दान से कई गुना ज्यादा मिलता है। मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था इसलिए इस दिन श्री मद्भागवत गीता पढ़ना विशेष फलदाई माना गया है।
Margashirsha Maas Krishna Paksh Mokshada Ekadashi Vrat Katha
भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के पश्चात महाराज युधिष्ठिर को एकादशी व्रत का महत्व बताया था ।एक बार चंपा नगर में वैखानक नाम का एक राजा राज्य करता था।उसके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी और ब्राह्मणों को वेदों का ज्ञान था। एक रात्रि राजा ने अपने पितरों को नरक की यातना भोगते हुए देखा।
उसके पितर उससे नरक की यातना से मुक्ति की याचना कर रहे थे। स्वपन देखकर राजा का मन बहुत दुखी हुआ। प्रातःकाल राजा ने अपना स्वप्न विद्वानों को सुनाया.।उन्होंने राजा को पर्वत ऋषि के पास जाने का परामर्श दिया क्योंकि वह भूत और भविष्य के ज्ञाता माने जाते थे।राजा ऋषि के आश्रम में गया तो पर्वत ऋषि ने राजा को बताया कि अपने पूर्व जन्म में किए गए पापों के कारण तुम्हारे पूर्वज नरक की यातना भोग रहे हैं। इसलिए तुम मार्गशीर्ष मास में आने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत करो। एकादशी व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पितर नरक से मुक्त हो जाएंगे.
राजा ने ऋषि के द्वारा बताई विधि के अनुसार व्रत किया और उसका फल पितरों को दे दिया। मोक्षदा एकादशी के व्रत के प्रभाव से उसके पूर्वज स्वर्ग को प्राप्त हुए। इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत विधि
एकादशी व्रत करने वाले व्रती को दसवीं वाले दिन सूर्यास्त के बाद सात्विक भोजन करना चाहिए और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी वाले दिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु को पीले पुष्प और पीले वस्त्र अर्पित करने चाहिए।
भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य और तुलसी पत्र अर्पित करने चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता चढ़ाने का विशेष महत्व है।
मोक्षदा एकादशी के दिन किए गए दान पुण्य का फल अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा होता है।
भगवान कृष्ण के मंत्रों का जप करना चाहिए। इस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था इसलिए गीता का पाठ करना चाहिए और आरती पढ़नी चाहिए।
व्रती को फलाहार ही करना चाहिए।
एकादशी व्रत में रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है।
द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए।
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