SMALL STORY FOR KIDS IN HINDI

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बच्चों के लिए छोटी नैतिक कहानियां

बच्चों को कहानियां सुनाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। नैतिक मूल्यों की कहानियां सुनने और पढ़ने से बच्चों में नैतिक गुण विकसित होते हैं। बच्चों की कल्पनाशक्ति बढ़ती है। बच्चे जब कहानियां पढ़ते या सुनते हैं तो उनके ज्ञान में वृद्धि होती है और उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। बच्चों की शब्दावली विकसित होती है क्योंकि हर एक कहानी में बहुत से मुहावरों और नए शब्दों का प्रयोग होता है। इस आर्टिकल small story for kids in hindi में पढ़ें बच्चों के लिए नैतिक कहानियां

शेर बाघ और गधे की कहानी 

Sher Bagh aur Gadha small story for kids in hindi: एक बार बाघ ने गधे को घास खाते हुए देखा। उसने गधे से कहा वाह भाई! तू तो मस्त हरी घास खा रहा है।

गधा तुनक कर बोला - घास का रंग हरा नहीं बल्कि नीला है।

बाघ आश्चर्य से बोला - अरे बेवकूफ घास का रंग नीला नहीं अपितु हरा होता है। तुम हरे और नीले में अंतर नहीं जानते।

लेकिन गधा तो अपनी बात पर अड़िग था । दोनों को अपना पक्ष ठीक लग रहा था। कौन सही? कौन गलत? यह फैसला करने के लिए दोनों शेर के पास पहुंचे।

 शेर ने दोनों से पूछा- कहो भाइयों तुम दोनों मेरे पास किस समस्या के समाधान के लिए आए हो। 

गधा तुनक कर बोला कि," कब से इस मूर्ख बाघ को समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि घास नीली होती है। बाघ है कि बिना वजह बहस किए जा रहा है।" 

बाघ ने अपनी बात रखने की कोशिश की लेकिन गधा तो ऐसे बहस करने लगा कि मानो जो वह कह रहा है वहीं ठीक है।

शेर अब सारा मामला समझ चुका था। 

गधे ने पूछा महाराज आप बताएं घास नीली होती है ना। 

शेर ने कहा - बिल्कुल घास नीली ही होती है। 

गधा, बाघ से बोला देखा, मैं तो पहले ही कह रहा था कि घास नीली होती है।

गधा अब शेर से कहने लगा कि," बाघ झूठ बोल रहा था इसके लिए इसको कोई सजा होनी चाहिए।"

शेर ने कहा - तुम ठीक कह रहे हो। बाघ को कुछ दिनों तक मौन रहने की सजा दी जाती है। यह सुनकर गधा खुशी-खुशी वहां से चला गया। 

बाघ शेर से बोला महाराज मुझे आपकी सजा मंजूर है। लेकिन क्या घास सचमुच नीली होती है?

 शेर बोला नहीं, घास हरी होती है। बाघ ने कहा - फिर आपने उस मूर्ख गधे को समझने की बजाय मुझे सजा क्यों दी?

शेर ने गंभीरता से कहा- जब तुम जानते हो कि वह मूर्ख है फिर भी तुमने उसे समझाने में अपना और मेरा दोनों का समय बर्बाद किया। यह सजा तुम को जीवन भर याद दिलाती रहेगी कि मूर्ख व्यक्ति को कभी नहीं समझाना चाहिए। उसे तुम्हारी बात समझ में नहीं आएंगी। उल्टा वह अपने स्तर पर जाकर तुम को ही मूर्ख साबित करने का प्रयास करेगा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि मूर्ख व्यक्ति के साथ कभी बहस नहीं करनी चाहिए इससे आपका ही समय और शक्ति बेकार जाएगी। 

बेचारी जूं और खटमल की कहानी 

Bechari Joon aur khatmal hindi story for kids: एक बार एक राजा के बिस्तर में एक जूं रहती थी। वह राजा के बिस्तर में छिपी रहती थी। जब राजा रात के समय गहन निद्रा में होता तब उसका रक्त पिया करती थी। उसके पश्चात फिर से छिप जाती।

सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन एक दिन वहां पर एक खटमल आ गया। जूं ने उसे देखते ही फटकार लगाई कि यह जगह छोड़ कर चले जाओ। जूं उसके दुष्ट स्वभाव के बारे में जानती थी। 

खटमल विनती करने लगा कि, "घर आया दुष्ट भी अतिथि होता है, इसलिए उसका अपमान नहीं करना चाहिए।" 

उसकी यह बात सुनकर जूं का मन थोड़ा पिघल गया। 

खटमल फिर से बोला - बहन तुम तो प्रतिदिन राजा के रक्त का आस्वादन करती हो। लेकिन मैंने तो आज तक किसी भी राजा का रक्त नहीं पिया। अगर तुम मुझ पर कृपा करो तो मैं एक बार राजा का रक्त पीकर यहां से चला जाऊंगा। तुम मुझे जैसा आदेश दोगी मैं वैसे ही कार्य करूंगा।

जूं खटमल की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई। उसने खटमल को राजा का रक्त पीने की अनुमति दे दी। जूं ने उसे चेतावनी दी कि राजा के गहरी नींद में सो जाने के पश्चात ही उसका खून चूसना। खटमल ने हामी भर दी। 

रात्रि में जब राजा बिस्तर पर आकर लेटा तो खटमल का मन मचलने लगा। उसने राजा के नींद में जाते हैं उसे काट लिया। राजा उसके काटने के कारण तड़प कर बैठ गया। उसने उसी क्षण सिपाहियों को कमरे में बुलाया। राजा ने आज्ञा दी कि मेरे बिस्तर में कोई खटमल या जूं घुस गई है। बिस्तर की सफाई कर उसको ढूंढकर मार डालो। खटमल तो फुर्ती से चारपाई के पाय में छिप गया। लेकिन जूं जल्दी से नहीं छिप पाई और पकड़ी गई। सेवादार ने उसे मार दिया। खटमल की दृष्टता के कारण जूं मारी गई। 

इस कहानी से सीख लेनी है तो दुष्ट व्यक्ति की संगति सदैव मुसीबत का कारण बनती है और दुष्टों की वाणी पर विश्वास नहीं करना चाहिए। 

गड़रिया और भेड़िया की कहानी 

Gadariya aur Bhediya hindi moral story for kids: एक बार गांव में एक गड़रिया रहता था। वह प्रतिदिन अपनी भेड़ों को चराने के लिए पास के जंगल ले जाता था। एक बार उसको शरारत सूझी। उसने ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। बचाओ! बचाओ! भेड़िया आ गया। 

उसकी आवाज़ सुनकर गांव वाले लाठी डंडे लेकर जंगल की ओर दौड़े। जैसे ही सभी वहां पहुंचे, वह गड़रिया ज़ोर ज़ोर से ठहाके मारकर हंसने लगा। मैंने तो मज़ाक किया था। यह सुनकर सभी गांव वाले उसको फटकार लगाकर वापस आ गए।

कुछ दिनों के पश्चात उस गड़रिए ने चिल्लाना शुरू किया। भेड़िया आ गया। बचाओ! बचाओ! इस बार भी जब गांव वाले जंगल में पहुंचे तो वह गड़रिया हंसने लगा। गांव वाले उसको डांटने लगे कि हम अपना सारा काम छोड़कर कर तुम्हारी एक आवाज पर दौड़े आते हैं। तुम आगे से हमारा मज़ाक बनाते हो। एक दिन तुम को इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है। 

उस गड़रिए ने एक दो बार पुनः वैसा ही नाटक किया। अब गांव वालों ने उसका विश्वास करना बंद कर दिया। लेकिन एक दिन सचमुच भेड़िया आ गया। वह लड़का बार-बार चिल्लाता रहा। भेड़िया आ गया। बचाओ! बचाओ! भेड़िया मेरी भेड़ों को खा जाएगा कोई तो मदद करो। लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया। हर किसी को लग रहा था कि यह पहले के जैसे नाटक कर रहा है। भेड़िया उसकी भेड़ों को खा गया। उसने पेड़ पर चढ़ कर अपनी जान बचाई।

इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि झूठ बोलने वाला व्यक्ति अपना विश्वास खो देता है। उसकी सत्य बात को भी कोई अहमियत नहीं देता। 

चार मित्र और शेर के कंकाल की कहानी 

Char mitar aur Sher ka kankaal hindi moral story for kids: एक गांव में चार मित्र रहते थे। उनमें से तीन विद्या ग्रहण कर स्वयं को बहुत बड़ा विद्वान समझते हैं। जबकि चौथा पढ़ा लिखा कम था लेकिन उसकी व्यवहारिक सूझबूझ बहुत थी। एक बार चारों ने विचार किया कि हमें धन कमाने के लिए शहर जाना चाहिए। 

मार्ग में उन्हें एक जानवर की हड्डियां दिखाई दी। उसे देखकर एक मित्र कहने लगा कि," यह हड्डियां शेर की है। मैं इस शेर की हड्डियों को जोड़ने की विद्या जानता हूं।

 दूसरा कहने लगा कि," मैं अपनी विद्या से उस कंकाल को रक्त और मांस से ढकने की विद्या जानता हूं।"

तीसरा मित्र अहंकार से बोला- मैं तो अपनी विद्या से इस मृत शेर के कंकाल में प्राण डाल सकता हूं। 

चौथा मित्र बोला- मित्रों एक मृत शेर को जीवित करने से हम सबके प्राण खतरे में आ जाएंगे। आप तीनों को व्यावहारिक दृष्टि से सोचना चाहिए। 

लेकिन वें तीनों मित्र सोचने लगे कि यह हम तीनों के ज्ञान से जलता है इसलिए ऐसा बोल रहा है। तीनों ने उसकी बात को अनसुना कर दिया। 

उन्होंने शेर की हड्डियों को इकट्ठा कर उसमें प्राण डालने का निश्चय किया। चौथा मित्र समझदार था इसलिए वह चुपचाप पेड़ पर चढ़ गया। तीनों मित्रों ने अपने प्रयोग शुरू कर दिये। एक ने मंत्रों से शेर की हड्डियों को जोड़ दिया। दूसरे ने उसपर मांस चढ़ाया और तीसरे ने उसमें प्राण डाल दिये। प्राण डालते ही शेर दहाड़ने लगा और उसने तीनों मित्रों पर हमला कर उन्हें मार दिया। चौथे मित्र की जान उसके व्यवहारिक ज्ञान और सूझबूझ के कारण बच गई। जब शेर वहां से गया तो वह वापस अपने घर लौट गया।

यह कहानी हमें सिखाती है कि व्यवहारिक सूझबूझ के बिना किताबी ज्ञान में कुशल होना ही काफी नहीं है। इसलिए सामान्य ज्ञान के बिना कोई भी विद्या अधूरी है। 
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