शिक्षक और विद्यार्थी की प्रेरणादायक कहानी
शिक्षक हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी बच्चे अपने शिक्षक से सीखते हैं वह उन्हें जल्दी समझ में आ जाता है। कहते हैं कि एक अच्छा शिक्षक समझाता है, एक बेहतर शिक्षक कर के दिखाता है और एक महान शिक्षक प्रेरित करता है।
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Teacher student motivational story in hindi: एक बार एक व्यक्ति को अपने ही स्कूल में चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया गया। वहां पर उनका उचित मान-सम्मान किया गया। लेकिन उनकी नज़र किसी खास शिक्षक को खोज रही थी। कार्यक्रम समाप्त होने के पश्चात वह व्यक्ति उनसे मिलने गया। उनके चरणों में प्रणाम किया।
उस व्यक्ति ने अध्यापक से कहा कि, सर आज़ मैं जो कुछ भी हूं आपके कारण ही हूं। शिक्षक ने बहुत विनम्रता से कहा कि," बेटा मैं तुम्हें नहीं पहचाना पाया। "
लड़के ने उनको कुछ साल पूरानी घटना का स्मरण करवाया। बार एक सर आप ने जैसे ही कक्षा में प्रवेश किया तभी एक विद्यार्थी बहुत ही घबराहट के साथ बोला कि सर किसी ने मेरी महंगी घड़ी चुरा ली है। यह सुनकर आपको बहुत बुरा लगा कि मैं अपने विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों का भी पाठ पढ़ाता हूं। फिर भी मेरी कक्षा में चोरी किसने की?
आपने कहा कि," सभी आंखें बंद कर एक लाईन में खड़े हो जाओ।" आपने बारी-बारी से सभी की तलाशी लेनी शुरू की। घड़ी मैंने ही चुराई थी। जब आप बाकी बच्चों की तलाशी ले रहे थे तब मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि यह मैंने क्या किया?
अब उम्र भर के लिए मुझ पर एक चोर होने का ठप्पा लग जाएगा। कक्षा में हर कोई मुझे हीन भावना से देखेगा। मेरे माता-पिता की परवरिश पर सवाल उठाए जाएंगे। मुझे इस स्कूल से निकाल दिया जाएगा।
यह विचार मेरे मन में चल ही रहे थे तभी आप मेरे पास आए और मेरी जेब से आपको वह घड़ी मिल गई। मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई कि अब मैं सारी क्लास के सामने चोर घोषित हो जाऊंगा। इस बात का अहसास ही मेरे लिए मौत के समान था। मैं स्वयं को कोस रहा था कि लालच में आकर मैंने ऐसा काम क्यों किया? मेरी एक ग़लती की वजह से मुझे सब समाप्त होता हुआ दिख रहा था।
घड़ी मिलने के कुछ मिनट बाद आपने पूरी क्लास से कहा कि आंखें खोल लो घड़ी मिल गई है। आपने उस दिन मेरा नाम किसी के भी सामने नहीं लिया। आपने केवल इतना ही कहा कि मुझे विश्वास है कि जिसने भी यह काम किया है वह भविष्य में ऐसा कुछ नहीं करेगा। सर आपके इसी इस बात ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी। उस दिन मैंने निश्चय किया कि मैं ऐसा कार्य कभी नहीं करूंगा। आपने मेरे सम्मान को बनाए रखा। इसलिए मैं उसकी कद्र करूंगा और एक दिन इस शहर का सम्मानित व्यक्ति बनने के लिए भरपूर मेहनत करूंगा।
सर आपके उस दिन मुझे चोर ना घोषित करने के कारण मैं आज एक सम्मानित व्यक्ति बन पाया हूं। पूरी कहानी सुनने के पश्चात शिक्षक ने कहा कि बेटा आज तक वैसे मुझे भी नहीं पता था कि चोर कौन है? क्योंकि जब मैंने तुम लोगों की आंखें बंद करवाई थी तब तलाशी लेते वक्त मेरी भी आंखें बंद ही थी।
मैं नहीं चाहता था कि मैं अपने किसी भी विद्यार्थी को एक चोर के रूप में देखूं। यह सुनकर उस लड़के की आंखों में अपने शिक्षक के प्रति सम्मान ओर बढ़ गया।
संस्कृत में एक प्रसिद्ध श्लोक है कि -
विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम्।
शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता।।
भावार्थ - विद्वत्त्व अर्थात ज्ञानवान, निपुणता, विनम्रता, पुण्यात्मा, अनुशीलन, सचेतत्व और प्रसन्न रहना ये सात शिक्षक के गुण है।
शिक्षक और विद्यार्थी की मोटिवेशनल स्टोरी
यह कहानी है उस लड़के की जो अपने स्कूल में हमेशा प्रथम आता था। स्कूल से कॉलेज गया तो उसकी संगति बिगड़ गई। धीरे-धीरे पढ़ाई से ध्यान हट गया। दोस्तों के साथ दिनभर मस्ती करता रहता था। उसका असर यह हुआ कॉलेज की परीक्षा में फेल हो गया।
कॉलेज में फेल होने की बात सुनकर वह डिप्रेशन में चला गया । उसे लगा कि सब खत्म हो गया अब कुछ नहीं बचा। घर वालों ने तो बहुत समझाने की कोशिश की ,लेकिन कुछ असर नहीं हुआ। सारा दिन कमरे में बैठा रहता था और किसी से आंख भी ना मिलाता था। उसके फेल होने का उस पर बहुत बुरा असर पड़ा था।
उसके पिता ने यह बात उसके स्कूल के प्रिंसिपल को बताई। प्रिंसिपल ने कहा उसे मेरे पास भेजना। जब प्रिंसिपल सर के पास गया तो वह अपने घर के बगीचे मे आग सेक रहे थे।
लड़के से बात करते-करते उसके प्रिंसिपल ने उसे बहुत समझाया ,लेकिन बात उसे समझ नहीं आ रही थी। प्रिंसिपल ने आग में से एक कोयले का टुकड़ा नीचे जमीन पर फेंक दिया। जिससे वह ठंडा होकर बुझ गया। राहुल ने प्रिंसिपल सर से कहा सर आपने इस कोयले को बेकार क्यों किया? प्रिंसिपल सर ने उठाकर उसे फिर से आग में डाल दिया। जिसे वह कोयला फिर से जलने लगा।
प्रिंसिपल सर ने उसे समझाया कि तुम भी इस कोयले की तरह हो गलत संगत में जाने की वजह से तुम्हारे अंदर की आग ठंडी हो गई थी। मुझे लगता है अब तुम्हें समझ आ गया होगा ,अगर यह कोयला एक बार फिर से भट्ठी में जाने से जल सकता है तो तुम भी एक बार फिर से मेहनत करो तो अपनी पढ़ाई में अव्वल आ सकते हो।प्रिंसिपल सर की कही बात का राहुल पर ऐसा हुआ असर हुआ कि उसने गलत संगती छोड़ दी। मेहनत और लगन से पढ़कर वह ऑफिसर बन गया। यह उस शिक्षक की दी गई सीख का ही कमाल था ,जो बात उसे कोई ना समझा पाया वह उन्होंने एक छोटी सी उदाहरण में समझा दी
Teacher student motivational story in hindi
एक बार कॉलेज में चार दोस्त थे । चारों बहुत शरारती ,पढ़ाई -लिखाई में कम ही ध्यान देते थे। कॉलेज के मासिक पेपर चल तो उनके मन में एक दिन विचार आया, अगर आज का हमारा पेपर कल के लिए टल जाए तो हम एक दिन में पढ़ लेंगे और अच्छे मार्क्स ले आएंगे।
इसलिए उन्होंने एक युक्ति लगाई। कॉलेज देर से पहुंचे और प्रोफेसर से कहने लगे हमारी गाड़ी का टायर पंचर हो गया था। इसलिए हम देर से आए हैं। कृपया करके हमें एक दिन का टाइम और दे दो।
सर ने कहा ठीक है और चुपचाप वहां से चले गए। अगले दिन पेपर हुआ तो प्रोफेसर ने चारों को अलग-अलग कमरे में बैठा दिया। सिर्फ उसमें दो ही सवाल थे आपका नाम क्या है? आपकी गाड़ी का कौन सा टायर पंचर हुआ था ?
कमाल की बात चारों ने अलग-अलग टायरों के नाम लिखें। प्रोफेसर ने उन चारों को बुला कर कहा मैं तो कल ही समझ गया था कि तुम चारों झूठ बोल रहे हो लेकिन मैं कुछ बोला नहीं तो तुम लोगों ने क्या सोचा मुझे मुर्ख बना दिया। इसीलिए तो कहते हैं कि,"जो गुरु होता है वह सब जानता है।"
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