दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी पूजा क्यों पूजा की जाती है
दीवाली का त्यौहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। 2023 में दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन मां लक्ष्मी जी के साथ धन के देवता कुबेर जी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।दीवाली के दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए थे, तो अयोध्या वासियों ने नगर को दीपों से सजाया था।इसलिए इस त्यौहार को दीपावली कहा जाता है। आपके मन में प्रश्न आता होगा कि अगर श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे तो फिर इस दिन लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन क्यों किया जाता है ?
लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा साथ में करने की प्रचलित मान्यताएं
मां लक्ष्मी धन वैभव की देवी है और मां लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के धन, ऐश्वर्या और वैभव में वृद्धि होती हैं। मां लक्ष्मी को चंचला माना जाता है एक स्थान पर नहीं ठहरती। उनको संभाल कर रखने के लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता होती है और गणेश जी बुद्धि के देवता माने जाते हैं। इसलिए लक्ष्मी जी का पूजन गणेश जी के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी लक्ष्मी के दत्तक पुत्र हैं और माता सदैव अपने पुत्र के दाहिनी ओर विराजती हैं।एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी जी को एक बार धन की देवी होने का अभिमान हो गया। भगवान विष्णु जी ने उनके अभिमान को दूर करने के लिए कहा कि, "स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक मां नहीं बन जाती। लक्ष्मी जी का कोई भी पुत्र नहीं था। इसलिए वह मां पार्वती के पास गई और उनसे अपने पुत्र को गोद देने के लिए कहा। मां पार्वती जी ने लक्ष्मी जी का दर्द समझते हुए अपने पुत्र गणेश को लक्ष्मी जी को सौंप दिया।
माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई। उस दिन माँ लक्ष्मी कहा कि धन सुख- समृद्धि के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी पड़ेगी, फिर मेरी पूजा संपन्न होगी। मान्यता है इसी कारण लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है।
लक्ष्मी जी धन की देवी है और गणेश जी विवेक के देवता है. बिना विवेक के धन किसी के पास ज्यादा समय तक टिक नहीं सकता | लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन करते समय गणेश जी को सदा लक्ष्मी जी के बाई और रखना चाहिए तभी पूजा का पूर्ण फल मिलता है।
एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार एक बार एक साधु ने राज सुख को भोगने की इच्छा से मां लक्ष्मी के कठोर तप किया उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उसे राज सुख भोगने का वरदान दिया।
मां लक्ष्मी से वरदान प्राप्त कर वह साधु अभिमान वश राज दरबार में चला गया और जाकर राजा का मुकुट नीचे गिरा दिया। यह देखकर राजा क्रोध से तमतमा उठा। लेकिन उसी समय राजा को मुकुट में से एक नाग निकल कर जाता हुआ दिखा। राजा का क्रोध प्रसन्नता में बदल गया। उसे लगा कि साधु ने मेरी जान बचाने के लिए ऐसा किया होगा।
राजा ने प्रसन्न होकर साधु को अपना मंत्री बना लिया। उसके कुछ दिनों के पश्चात साधू राजा का हाथ पकड़कर राज महल से बाहर ले गया और साधु को ऐसा करते देख सभी दरबारी भी पीछे-पीछे आ गए। उसी समय भूकंप आया और पूरा महल ध्वस्त हो गया। राजा और दरबारी सभी साधु के चमत्कार के आगे नतमस्तक हो गये। अब सभी राजकार्य साधु के कहे अनुसार किए जाने लगे। साधु अपने आप को शक्तिशाली समझने लगा और उसे अभिमान हो गया कि मैंरे पास अपार शक्तियां हैं।
उसी अभिमान में उसने राजमहल से गणेश जी की मूर्ति को हटवाने का आदेश दिया क्योंकि उसका मानना था कि यह मूर्ति राज महल के सौंदर्य को कम कर रही है।
गणेश जी का अपमान करने के कारण गणेश जी उससे रुष्ट हो गए जिसके परिणाम स्वरूप उसने राजा का अपमान किया तो राजा ने उसे जेल में डाल दिया।
साधु ने जेल में फिर से मां लक्ष्मी की तपस्या की। मां लक्ष्मी ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यह सारी विपत्ति गणेश जी का अनादर करने के कारण आई है। गणेश जी के नाराज होने से तुम्हारी बुद्धि नष्ट हो गई और धन लक्ष्मी संभालने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है। साधु को अपने किए पर पछतावा हुआ और उसने गणेश जी से माफी मांगी। जिसके परिणाम स्वरूप गणेश जी ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और साधु को जेल से बाहर निकालने का आदेश दिया। अगले दिन प्रातः राजा साधु के पास पहुंचा और साधु को अपना स्वप्न सुनाया।
राजा ने साधु को पुनः अपना मंत्री बना लिया। साधु ने गणेश जी की मूर्ति की पुनः विधिवत स्थापना करवा दी । उसने गणेश जी की मूर्ति के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना भी की। उस दिन उसने सर्वसाधारण को बताया कि लक्ष्मी जी के साथ-साथ गणेश जी की पूजा भी बहुत जरूरी है। इस तरह लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा का प्रचलन शुरू हो गया।
एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्री राम जब अयोध्या लौटे थे तो उन्होंने उस दिन गणेश के साथ मां लक्ष्मी का पूजन किया था। तभी से दिवाली पर लक्ष्मी गणेश का पूजन करने की परंपरा शुरू हुई। श्री राम अयोध्या लौट कर अयोध्या के राजा बने थे इसलिए उन्होंने अपनी प्रजा की सुख समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की आराधना की थी क्योंकि मां लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन से हम बुद्धि विवेक और सुख समृद्धि का आवाहन करते हैं।
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