TULSI PUJAN DIWAS KAB KYUN KAISE MANAYA JATA HAI

TULSI PUJAN DIWAS 2023 KABTULSI PUJAN DIWAS  HAI KYUN KAISE MANAYA JATA HAI तुलसी पौधे का महत्व तुलसी पूजन दिवस कैसे मनाया जाता है 

तुलसी पूजन दिवस 2023 :Monday 25 December

 तुलसी पूजन दिवस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इसको मानने की शुरुआत 2014 में की गई थी। इसको मानने का उद्देश्य बच्चों और युवा पीढ़ी युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और तुलसी के पवित्र पौधे के औषधीय गुणों और अध्यात्मिक महत्व से अवगत करवाना है। 

तुलसी पूजन दिवस कैसे मनाया जाता है 

तुलसी पूजन दिवस के दिन स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसदिन तुलसी के पवित्र पौधे की विधि विधान से पूजा की जाती है। तुलसी माता को जल अर्पित कर, पुष्प अर्पित करें, चुनरी चढ़ाएं।

उसके पश्चात तुलसी माता की परिक्रमा की जाती है और दीप जलाया जाता है। तुलसी पूजन के समय तुलसी माता का मंत्र पढ़ें और फिर आरती करनी चाहिए। 

तुलसी पूजन मंत्र

महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ॥

तुलसी पूजन दिवस मनाने का उद्देश्य

आज के समय में बहुत से साधू-संतों द्वारा तुलसी पूजन दिवस का बहुत अधिक प्रचार प्रसार किया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी तुलसी के पौधे के औषधीय गुणों और हमारी सनातन संस्कृति में तुलसी पूजन का क्या महत्व को समझा सके।

तुलसी पौधे का महत्व 

 शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पौधा लगाने से, सींचने से और तुलसी का गुणगान करने से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। जिस घर में तुलसी का पौधा विराजमान होता है वह घर तीर्थ समान होता है और वहां पर (रोग रुपी) यमदूत नहीं आते।

तुलसी के पौधे का पूजन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है और आर्थिक कठिनाइयां दूर होती है।घर में कलह क्लेश दूर रहती है। 

तुलसी के पौधे में औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद में तुलसी का बहुत महत्व है। 

तुलसी का पौधा घर में रखने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती है। आरोग्य की प्राप्ति होती है। तुलसी के नाम उच्चारण से पापों का नाश होता है। 

         तुलसी नामाष्टक
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता ।।

तुलसी भगवान विष्णु और श्री कृष्ण को अति प्रिय है। सभी मांगलिक कार्यों में तुलसी पत्ते का प्रयोग किया जाता है। 

पुराणों के अनुसार तुलसी पत्ते से टपकते जल को मस्तिष्क पर लगाने से गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होता है।

 तुलसी के पत्ते गंगा जल के समान सदैव पुजनीय रहते हैं। सूर्य और चंद्रमा के ग्रहण के समय भोजन में तुलसी पत्ता डालने से भोजन पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। 

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