20 लाइन की छोटी नैतिक कहानियां
ईमानदार लकड़हारा
IMANDAR LAKADHARA 20 LINE STORY WITH MORAL
20 LINE STORY WITH MORAL:एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था। वह प्रतिदिन जंगल में लकड़ी काटने के लिए जाता था। लकड़ी बेचकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता था।
एक दिन वह जंगल में नदी के किनारे एक पेड़ की लकड़ी काट रहा था। तभी अचानक उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। नदी बहुत गहरी थी और लकड़हारे को तैरना भी नहीं आता था।
वह निराश होकर नदी के किनारे बैठ गया और रोने लगा। तभी पानी के देवता नदी से प्रकट हुए। उन्होंने लकड़हारे पूछा- पुत्र तुम क्यों रो रहे हो?
लकड़हारे ने कुल्हाड़ी नदी में गिरने की बात बताई जलदेवता को बताई। सबसे पहले उन्होंने सोने की कुल्हाड़ी निकाली और उसे लकड़हारे को देते हुए कहा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"
लकड़हारा ने कहा, "नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है?
जल के देवता ने फिर एक चांदी की कुल्हाड़ी निकाली और लकड़हारे को देते हुए कहा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"
लकड़हारा ने फिर कहा, "नहीं, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।
जल देवता ने फिर लोहे की कुल्हाड़ी निकाली तो लकड़हारा खुशी से उछल पड़ा। उसने कहा कि यह मेरी कुल्हाड़ी है।
जल का देवता उसकी ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सोने, चांदी और लोहे की तीनों कुल्हाड़ियां लकड़हारे को दे दी। उसने जल देवता को धन्यवाद दिया और घर चला गया।
लकड़हारे को उसकी ईमानदारी के फलस्वरूप तीनो कुल्हाड़ी मिल गई।
Moral - ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। ईमानदारी से जीवन में हमेशा सफलता मिलती है।
हाथी और दर्जी की कहानी
Hathi Aur Darji Ki 20 Line Short Story With Moralएक बार एक गाँव में एक दयालु दर्जी रहता था। एक दिन उसकी दुकान के आगे से एक हाथी निकल रहा था। उसने हाथी को खाने के लिए एक केला दिया। अब हाथी हर रोज़ दर्जी की दुकान पर आने लगा और दर्जी उसे नियमित केला खाने के लिए देता।
अब हाथी और दर्जी दोनों अच्छे मित्र बन गए थे। दोनों की मित्रता पूरे गांव में प्रसिद्ध हो गई थी। दर्जी को एक दिन किसी काम से दूसरे शहर जाना था। उसने अपने पुत्र को दुकान पर बैठा दिया। वह बहुत ही शरारती था।
उस दिन जब हाथी दुकान पर आया, तो दर्ज़ी के बेटे को एक शरारत सूझी। हाथी ने जब केला खाने के लिए सूंड आगे की तो उसने सूई चुभो दी। हाथी दर्द से कराहते हुए वहां से चला गया।
हाथी वहां से सीधे तालाब में गया और अपनी सूंड में गंदा पानी भर लिया। हाथी ने वापस लौट कर सारा पानी दर्जी की दुकान पर उंडेल दिया। उससे उसकी दुकान पर टंगे सारे कपड़े खराब हो गए। अब दर्ज़ी के पुत्र को अपने किए पर पछतावा हो रहा था। दर्जी के वापस आने पर पुत्र ने पूरी बात पिता को बताई। दर्जी ने अपने पुत्र को समझाया कि तुमने हाथी के साथ बुरा व्यवहार किया था।
इसलिए जैसा व्यवहार तुमने उसके साथ किया वैसा ही उसने तुम्हारे साथ किया। इसलिए कभी भी किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। दर्जी और उसका पुत्र हाथी के पास गए और उसकी पीठ को हाथ से सहलाया और माफी मांगी।
Moral- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती हैं कि हम किसी के साथ जैसा व्यवहार करते हैं वैसा ही व्यवहार हमें मिलता है।
कछुएं और खरगोश की कहानी
Kachua aur Kharghosh ki 20 line story with moral
एक बार एक जंगल में एक खरगोश रहता था। उसे अपने तेज़ गति से दौड़ने पर बहुत अभिमान था। उसी जंगल में एक कछुआ रहता था। कछुआ बहुत धीमी गति से चलता था। खरगोश इस बात के एक लिए अक्सर उसका मज़ाक उड़ाया करता था। एक दिन खरगोश ने कछुए को दौड़ने की प्रतियोगिता की चुनौती दी। कछुआ जानता था कि खरगोश उससे तेज़ दौड़ता है लेकिन फिर भी उसने खरगोश की चुनौती स्वीकार कर ली।
अगले दिन निर्धारित समय पर दौड़ प्रतियोगिता आरंभ हो गई। जंगल के सभी जानवर इस प्रतियोगिता को देखने के लिए पहुंच गए। खरगोश दौड़ के आरंभ से ही अपनी जीत के प्रति आश्वस्त था। खरगोश ने तेज़ गति से दौड़ना शुरू किया। कुछ ही समय में उसने आधे से ज्यादा रास्ता पार कर लिया। उसने मुड़कर पीछे देखा तो कछुआ धीमी गति से लगातार आगे बढ़ रहा था।
खरगोश सोचने लगा कि अभी कछुए को पहुंचने में बहुत समय लगेगा। इसलिए उसने कुछ समय पेड़ की छाया में आराम करने की सोची। कुछ ही समय में उसे नींद आ गई। कछुआ धीमी गति से लगातार चलते हुए खरगोश के पास से चुपचाप गुजर गया और बिना रूके निरंतर आगे बढ़ता रहा। कुछ समय पश्चात खरगोश की नींद खुली तो बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ निर्धारित लक्ष्य तक पहुंच चुका था और खरगोश प्रतियोगिता हार गया था।
शिक्षा - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए और लगातार निरंतर प्रयास करने से हमें सफलता प्राप्त हो जाती है।
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