राधा रमण मंदिर वृंदावन
वृन्दावन धाम में स्थित राधारमण मंदिर श्री गौडीय समाज का प्रसिद्ध मंदिर है। राधारमण मंदिर में श्री कृष्ण का विग्रह स्वयं प्रकट हुआ था। राधारमण मंदिर वृन्दावन के प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। इस मन्दिर की स्थापना 500 वर्ष पहले चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट जी ने की थीं। मंदिर में राधारमण जी के ललित त्रिभंगी मूर्ति के दर्शन होते हैं। द्वादश अंगुल का यह विग्रह बहुत ही मनोहर है। 1599 विक्रम संवत वैशाख पूर्णिमा के दिन राधारमण जी का विग्रह प्रकट हुआ था। वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन पंचामृत अभिषेक कर प्रकट्य दिवस मनाया जाता है।SHRI RADHA RAMAN PRAKAT DIVAS 2024
2024 में राधा रमण प्राकट्य दिवस 23 मई दिन वीरवार को मनाया जाएगा।
श्री राधा रमण जी वैशाख मास की पूर्णिमा को श्री राधा रमण विग्रह के रूप में प्रकट हुए थे। इस लिए इस दिन को उनके प्रकाट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राधारमण जी के विग्रह के प्रकट होने की कथा
एक बार गोपाल भट्ट जी जब गण्डकी नदी पर स्नान करने गए तो 12 शालीग्राम उनके पास आ गये उन्होंने जब सारे शालीग्राम पानी में विसर्जित किये तो पुनः सारे शालीग्राम उनके पास आ गये।
उन्होंने हरि इच्छा जानकर सभी शालीग्राम अपनी पोटली में बांध लिये और वृन्दावन में केशीघाट के निकट कुटिया बनाकर श्रद्धा से सभी शिलाओं का पूजन करने लगे।
एक बार एक सेठ वृन्दावन के समस्त विग्रहों के लिए वस्त्र बांट रहा था तो उन्होंने गोपाल भट्ट को भी वस्त्र भेंट किये।
गोपाल भट्ट सोचने लगे कि मैं शालीग्राम को यह वस्त्र कैसे धारण करवाऊं। अगर मेरे आराध्य के भी अन्य विग्रहों की तरह हाथ, पैर , मुंह होते तो मैं भी उनको विविध भांति सजाता, श्रृंगार कराता । इसी विचार का रातभर चिंतन करते रहे और रात को उन्हें नींद भी नहीं आई।
लेकिन सुबह उठकर आश्चर्यचकित हो गए क्योंकि एक दामोदर नाम के शालीग्राम ने त्रिभंग ललित द्विभुज मुरली मनोहर रूप धारण कर लिया था।
गोपाल भट्ट ने प्रसन्न चित्त होकर अपने आराध्य का अलोकिक श्रृंगार किया और गुरुजनों को बुलाकर राधा रमण जी का प्रकाट्य दिवस मनाया। प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल पूर्णिमा के दिन राधा रमण जी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है।
राधारमण जी विग्रह के रोचक तथ्य| Radha Raman Temple's Interesting Facts
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राधा रमण जी स्वयं प्रकट हुए हैं इनको राधा रमण इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह एक ऐसी मूर्ति है जिसमें श्री राधा कृष्ण दोनों का समावेश है।
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राधारमण जी की पीठ देखने पर वह शालीग्राम शिला समान दिखती है।
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राधा रमण जी का विग्रह द्वादश अंगुल का है लेकिन जब इनका श्रृंगार किया जाता है तो उनके दर्शन बहुत मनोहारी होते हैं।
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श्री राधा रमण विग्रह का मुखारविंद गोविन्द देव के समान है।
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वक्षस्थल गोपीनाथ के समान है
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चरण मदन मोहन के समान है। इनके दर्शनों से तीनों विग्रहों के दर्शन का फल एक साथ प्राप्त होता है।
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राधारमण जी के विग्रह को बांसुरी धारण नहीं कराई जाती अपितु उनके साथ रखी जाती है।
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गोपाल भट्ट जी जी जिन 11 शिलाओं की सेवा करते थे वह भी मंदिर में स्थित है।
राधारमण मंदिर की रसोई के रोचक तथ्य| Radha Raman Mandir's Kitchen
राधा रमण मंदिर की रसोई में लगभग 500 वर्षों से लगातार आग जल रही है। राधा रमण मंदिर में लगने वाला भोग इसी आग में पकाया जाता है। इसे आग को माचिस या फिर किसी भी बाहरी द्रव्य से नहीं जलाया गया
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