बुद्धिमत्ता की कहानियां
मुश्किल समय में धैर्य ना खोकर हम अपनी बुद्धि और विवेक से असंभव दिखने वाली मुश्किलों का भी समाधान कर सकते हैं।
बुद्धिमान कुत्ते की मोरल स्टोरी
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया। अभी वह रास्ता खोज ही रहा था कि उसने एक शेर को अपनी ओर आते देखा।कुत्ता सोचने लगा कि आज तो जान से धोना पड़ेगा।
लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और एक युक्ति लगाई। कुत्ते को वहां पर कुछ सुखी हड्डियां पड़ी हुई मिली। जब शेर कुत्ते के एकदम समीप आ गया तो वह शेर की ओर पीठ कर के बैठ गया और सूखी हुई हड्डी को चूसने लगा।
कुत्ता ऊंची आवाज़ में बोलने लगा कि," शेर को खाकर मज़ा आ गया, अगर एक और शेर खाने को मिल जाए तो मजा दौगुना हो जाए।" यह सुनकर शेर अचरज में पड़ गया कि यह कुत्ता होकर शेर का शिकार करता है। यहां से तो भागने में ही भलाई है।
ऐसा विचार कर शेर चुपके से वहां से चला गया। यह सारा प्रकरण वहां पेड़ पर बैठा बंदर देख रहा था। उसे यह देखकर मजा तो आ रहा था कि इस कुत्ते ने कैसे शेर को मुर्ख बनाया है। लेकिन उसके मन में खुराफात जागी कि शेर को जाकर सारी सच्चाई बता देता हूं। जिससे मैं शेर का विश्वासपात्र बन जाऊंगा। शेर से मेरी मित्रता भी हो जाएगी और मुझे शेर का भय भी नहीं रहेगा। बंदर जल्दी से शेर के पिछे भागा।
कुत्ते ने बंदर को शेर के पीछे भागते देखा तो समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है। बंदर ने जाकर शेर को कुत्ते की सारी चालाकी बता दी कि कैसे उसने शेर को बेफकूफ बनाया है। इतना सुनते ही शेर क्रोधित हो गया तो कहने लगा कि ,"अभी जाकर उस कुत्ते का काम तमाम करता हूं।"
कुत्ते ने जब शेर को बंदर के साथ आते हुए देखा तो सोचने लगा अब तो प्राण बचाने मुश्किल है। इस बंदर ने सारी सच्चाई शेर को बता दी होगी। कुत्ते एक बार फिर से हिम्मत करके पीठ करके बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा कि ना जाने कम्बख़त बंदर कहा मर गया। उसे कब से भेजा है कि किसी शेर को फंसा कर लाने को ताकि उसे खाकर मैं अपनी भूख शांत कर सकूं। इतना सुनते ही शेर ने बंदर को मार दिया और स्वयं वहां से जान बचा के भाग गया।
इस तरह कुत्ते ने मुश्किल समय में भी हिम्मत ना हार कर बहुत समझदारी से अपनी जान दो बार बचा ली और उसके खिलाफ साजिश करने वाले बंदर को भी अपने शत्रु को हाथों मरवा दिया।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि मुश्किल समय में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और कठिन परिस्थितियों में अपनी बुद्धि और विवेक से काम लेकर समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।
बुद्धिमान मजदूर की कहानी मोरल स्टोरी
एक बार एक व्यक्ति दिन भर मजदूरी करके पैसे कमाने के पश्चात अपने घर की तरफ जा रहा था। सर्दियों के दिन थे और शाम ढल चुकी थी। सर्दी से बचाव के लिए उसने चादर ओढ़ रखी थी। उसके इलाके में डाकूओं का बहुत प्रकोप था। अक्सर डाकू लोगों से उन का धन और कीमती सामान लूट कर ले जाते थे।
वह व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत और ताकतवर था। जब वह अपने घर की तरफ जा रहा था तभी एक डाकू अचानक से उसके सामने आ गया और उसको बंदूक दिखाकर कहने लगा कि," जो कुछ भी है तुम्हारे पास मुझे दे दो।"
उस व्यक्ति ने भांप लिया कि यह डाकू शारीरिक से तो मुझ से कमजोर लग रहा है इसकी असली ताकत इसकी बंदूक है। अगर किसी तरह मैं इसकी यह ताकत खत्म कर दूं तब ही इससे जीत सकता है।
उसने अपनी पैसों वाली पोटली निकली और उस डाकू को दे कर रोने गिड़गिड़ाने लगा। वह व्यक्ति डाकू से कहने लगा कि,"मेरी पत्नी बहुत झगड़ालू है, उसने मेरा जीना हराम कर रखा है, अगर मैं आज बिना पैसों के घर गया तो वह फिर से मुझे से झगड़ा करेंगी कि मैंने जुएं में पैसे हारा दिये होंगे या फिर किसी वेश्या को दे दिये होंगे।
आप ऐसा करो कि मेरी टोपी में एक गोली मार दो ताकि मैं बता सकूं कि मेरे पैसे डाकू लूट कर ले गए हैं। डाकू उसकी बातों में आ गया और उसने टोपी में एक गोली मार दी।
अब वह व्यक्ति कहने लगा कि घर परिवार को लगना चाहिए कि मुझ पर बहुत शक्तिशाली डाकू ने हमला किया था इसलिए मेरे कोट में भी गोली मार दो। व्यक्ति ने कोट उतारा और डाकू ने उसमें गोली मार दी।
जब जैसे ही डाकू जाने लगा वह व्यक्ति बोला कि आप मेरी एक प्रार्थना और मान लें और मेरी चादर में भी दो - चार गोलियां मार दें। डाकू ने जाने की जल्दी में उसकी वह बात भी मान ली। इस बार भी डाकू जैसे ही जाने के लिए मुड़ा वह व्यक्ति फिर से बोल पड़ा मेरी एक बात और मान लो।
डाकू गुस्से से तमतमा उठा और कहने लगा कि अब बस कर आगे तेरी पत्नी और परिवार के चक्कर में मेरी सारी गोलियां खत्म हो गई है।
उस व्यक्ति ने जैसे ही यह सुना उस ने तुरंत उस डाकू को दबोच लिया और अपने पैसे वापस छीन लिये। इस प्रकार उस व्यक्ति ने कठिन समय में धैर्य और संयम बनाएं रखा और अपनी सुझबूझ से उस डाकू से अपने पैसे वापस हासिल कर लिये।
इसलिए हमें मुश्किल समय में धैर्य नहीं खोना चाहिए और अपने विवेक से निर्णय लेने चाहिए। जैसे इस व्यक्ति ने जब तक डाकू के हाथ में बंदूक थी तब तक अपने आप को लाचार दिखाता रहा और जैसे ही गोलियां खत्म हुई तब ही उसने अपने शारीरिक बल का प्रयोग किया।
Moral - मुश्किल समय में आपने विवेक से काम लेना चाहिए और थोड़ा स्मार्ट तरीके से सोचना चाहिए।
बुद्धिमान लड़के की मोरल स्टोरी
एक बार एक राजा था। उसका कोई भी पुत्र नहीं था। वह चाहता था कि उसका कोई उत्तराधिकारी मिल जाए। उसने अपने महल के साथ एक सुंदर सा महल बनवाया और उसके ऊपर एक गणित का सूत्र लिखवा दिया और कहा जो इस को सुलझाएगा और महल का दरवाजा खोलेगाा महल उसका हो जाएगा।
नगर में यह घोषणा करवा दी गई। लेकिन कोई भी उस सूत्र को सुलझा नहीं पाया। राजा ने दूसरे राज्यों में भी घोषणा करवा दी दूर- दूर से विद्वान आए पर वह भी उसे सुलझा ना सके।
दिन- महीने बीतते चले गए तो एक दिन राजा ने घोषणा करवा दी कि गणित का सूत्र सुलझाने का कल आखिरी दिन है। बहुत से विद्वान आए, पंडित आए दूर से आए। एक 16-17 साल के बुद्धिमान लड़के ने भी सुना की राजा ने कोई प्रतियोगिता रखी है। वह भी राज महल पहुंच गया।
प्रतियोगिता के संचालक ने लड़के से कहा, " अगर तुम पहले सूत्र सुलझाना चाहते हो तो पहले जा सकते हो।"
लड़का बोला, "पहले आप विद्वानों को मौका दीजिए। मैं बाद मे जाऊंगा।"लेकिन कोई भी सूत्र सुलझा ना पाया।
राजा ने सोचा की लगता है कोई भी उत्तराधिकारी बनने के योग्य नहीं है। अंतिम बारी जब उस लड़के की आई तो उसने समय लेकर कुछ सोचा और दरवाजा खोल दिया।
सारा भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। राजा ने उस से पूछा कि उसने यह दरवाजा कैसे खोला?
लड़के ने कहा कि जब, " मैंने देखा कि यह सूत्र किसी से भी हल नहीं हो रहा, तब मेरे मन में विचार आया कि हो सकता है की ऐसा कोई सूत्र हो ही ना। यह केवल उलझाने के लिए ही लिखा गया हो और दरवाजा को धक्का मारते ही दरवाजा खुल गया।"
राजा उसकी सूझ-बूझ से प्रसन्न हुआ और उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसी तरह जीवन में कई बार समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जितनी हम समझ लेते है।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कई बार हम समस्या को इतनी बड़ी मान लेते हैं कि उसके समाधान की ओर ध्यान ही नहीं दे पाते। लेकिन हम अपनी बुद्धिमत्ता से असंभव दिखने वाली चीजों का भी हल निकाल सकते हैं।
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