Mahabharata Story: जीवन में अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कैसे करें
हमारे जीवन में अक्सर एक सवाल आता है कि हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कैसे करें। हम जब भी कोई कार्य कर रहे होते हैं तो हमारा ध्यान लक्ष्य से भटक जाता है। हमारे आसपास बहुत सी चीजें होती हैं जो हमारा ध्यान भटकाती है या फिर लोगों के नकारात्मक विचार और बिना बात की निंदा चुगली हमें परेशान करती है।
फिर प्रश्न उठता है कि लक्ष्य पर किस तरह फोकस करें। महाभारत की अर्जुन और चिड़िया की आंख की कहानी हमारा मार्गदर्शन करती है कि जीवन में किसी काम को करने और उसमें सफलता पाने के लिए फोकस कैसा होना चाहिए।
एक बार गुरु द्रोणाचार्य के शिष्यों को लगा कि गुरु द्रोणाचार्य अर्जुन का पक्ष अन्य शिष्यों की तुलना में ज्यादा लेते हैं। जबकि गुरु जानते थे कि अर्जुन इन सबमें सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर है। गुरु ने सबका इस संशय को दूर करने के लिए सबकी एक परीक्षा ली।
उन्होंने पेड़ पर एक लकड़ी की चिड़िया डाल पर बांध दी। गुरु द्रोणाचार्य ने सभी को एक लक्ष्य दिया कि सभी को चिड़िया की आंख में निशाना साधना है।
गुरु ने बारी-बारी से सबसे पूछना शुरू किया कि,आपको पेड़ पर क्या नजर आ रहा है? सबसे पहले उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा। उसने कहा- मुझे पेड़ पर चिड़िया, पत्ते और आकाश नजर आ रहा। इतना सुनकर गुरु ने उसे निशाना साधने का आदेश नहीं दिया।
गुरु ने एक-एक कर दूसरे शिष्यों से भी यही प्रश्न किया कि," आपको पेड़ पर क्या दिख रहा है?" किसी ने कहा कि मुझे चिड़िया, आकाश और आप नजर आ रहे हैं। किसी को चिड़िया के साथ पत्ते और टहनियां नजर आ रही थी। गुरु ने किसी को भी लक्ष्य साधने के लिए नहीं कहा।
सबसे अंत में उन्होंने अर्जुन से पूछा कि," अर्जुन तुमको पेड़ पर क्या नजर आ रहा है?" अर्जुन ने उत्तर दिया गुरु जी मुझे तो केवल चिड़िया की आंख ही नजर आ रही है। इससे पहले किसी भी शिष्य ने यह उत्तर नहीं दिया था कि मुझे केवल लक्ष्य साधने वाली चिड़िया की आंख नज़र आ रही है।
गुरु ने प्रसन्न होकर अर्जुन को तीर चलाने का आदेश दिया और तीर जाकर सीधा चिड़िया की आंख में लगा और उस लकड़ी की चिड़िया के टुकड़े टुकड़े हो गए।
इसी तरह हमारी जिंदगी में होता है हमें अपने लक्ष्य के साथ साथ आसपास की distraction ज्यादा नज़र आती है। वह distraction सोशल मीडिया हो सकता है, दूसरों के द्वारा हम पर किए जाने पर नकारात्मक comments हो सकते हैं या फिर कोई भी ऐसी चीज जो हमें हमारे goal के पास लाने की बजाय हमारा ध्यान भटकाती है।
हमें जीवन में अपने goal पर focus कैसे करना है यह हमें अर्जुन से सीखना चाहिए क्योंकि गुरु द्रोणाचार्य के सभी अन्य शिष्यों को लक्ष्य तो चिड़िया की आंख में साधना था लेकिन उनको चिड़िया की आंख के सिवाय बहुत कुछ नजर आ रहा था लेकिन इकलौता केवल अर्जुन ही था जिसे चिड़िया की आंख नज़र आ रही थी। इसी फोकस के दम पर ही अर्जुन द्रोपदी का स्वयंवर जीत पाया था।
द्रोपदी के स्वयंवर के समय नीचे पानी में मछली का प्रतिबंब देखते हुए उसकी आंख में निशाना लगाना था। कोई भी धनुर्धर इस लक्ष्य को भेद ही स्वयंवर जीत सकता था। दुर्योधन, जरासंध और शिशुपाल जैसे राजा तो धनुष ही नहीं उठा पाते। कर्ण धनुष तो उठा लेता है लेकिन द्रोपदी उसे रोक देती है और कहती हैं कि उसकी वर माला किसी सूत पुत्र के लिए नहीं है। अर्जुन जो उस समय ब्राह्मण के वेश में था वह उस लक्ष्य को भेद लेता है और द्रोपदी के स्वयंवर को जीत जाता है।
महाभारत की कहानी हमें शिक्षा मिलती है कि जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए हम अपना पूरा ध्यान केवल उस लक्ष्य पर ही केन्द्रित करके सफलता हासिल कर सकते हैं
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