सकारात्मक सोच की शक्ति की प्रेरणादायक कहानियां
जीवन में सकारात्मक सोच रखने से ही हम ऊंचाईयों को छू सकते हैं। सकारात्मक सोच रखने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि हम समस्या पर नहीं उसके समाधान पर फोकस करते हैं क्योंकि हर समस्या का कोई ना कोई समाधान जरूर होता है। स्वामी विवेकानंद जी की एक प्रेरणादायक विचार है कि,"जैसा तुम सोचोगे, वैसे तुम बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
जीवन में हम सकारात्मक सोच के जादू से समास्याओं के हल ढूंढ सकते हैं। इस विचार की पुष्टि करती प्रेरणादायक कहानियां
POSITIVE THINKING STORY IN HINDI
एक बार की बात है कि एक गांव में दो व्यापारी रहते थे। दोनों की कमाई औसतन एक समान ही थी । लेकिन एक व्यापारी अपनी हर समस्या के लिए भगवान को उलाहना देता कि सारी समस्याएं मुझे क्यों देते हो?
जबकि दूसरा व्यापारी हर बात के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करता कि आपने मुझे इतना अच्छा परिवार और रहने को घर दिया जबकि कुछ लोगों के पास जो यह भी नहीं है। वह किसी के समस्या के आने पर उसका समाधान कैसे करना है यह सोचता ना कि ईश्वर को उलाहना देता। ऐसे ही दोनों का जीवन गुजर रहा था।
मृत्यु के पश्चात दोनों भगवान के पास पहुंचे। भगवान ने दोनों से पूछा कि ," तुम दोनों अपने अगले जन्म में पिछले जन्म की कौन सी समस्या का हल करना चाहते हो और कैसे ?
पहला व्यापारी कहने लगा कि,"प्रभु पिछले जन्म में मेरे पास जितना धन होता था उससे मेरा गुजारा बहुत मुश्किल से चलता था। कभी पत्नी घर खर्च और अपनी जरूरतों के लिए पैसे मांगती रहती। कभी बच्चे पढ़ाई और मौज मस्ती के लिए पैसे मांगते। मेरी वृद्ध मां दवाइयों और दान पुण्य के लिए धन मांगती थी। उन सब खर्चों के बाद भी अगर गलती से अगर कुछ बचत हो जाती तो कोई ना कोई जान पहचान वाला उधार मांगने आ जाता और अपनी बचत की कमाई उसे देनी पड़ती।
पूरा जीवन सब को पैसे बांटने में ही गुजर गया। इसलिए मैं अगले जन्म में इस समस्या का समाधान चाहता हूं कि कभी कोई मुझ से मांगने ना आए बल्कि हर कोई मुझे पैसे देकर जाए।
भगवान कहने लगे कि," उचित है तुम ने जैसे समाधान चाहता वैसा ही तुम हो उसका फल मिलेगा।"
फिर बारी दूसरे व्यापारी की आई। भगवान ने उससे पूछा। व्यापारी ने उत्तर दिया कि," प्रभु अपने जीवन से संतुष्ट था। आपकी कृपा से मेरा जीवन तो आंनदमय था। पत्नी के मांगने पर उसे घर खर्च के लिए पैसे देता था, बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई और हर संभव सुख सुविधा का ध्यान रखा। माता पिता की अच्छी सेवा की और उनको तीर्थ यात्रा करवाई और जितना हो सका दान पुण्य भी करवाया।
प्रभु वैसे तो मैं अपने पिछले जन्म में संतुष्ट था। लेकिन एक समस्या है जिसका आप समाधान कर दो। वैसे तो जहां तक संभव होता मैं जान पहचान वाले के मदद मांगने पर उनकी अगर संभव मदद कर देता था। लेकिन कई बार पैसे ना होने के कारण मैं किसी की मदद ना कर पाता तो मन में बहुत ग्लानि होती थी। इसलिए मेरी इस समस्या का समाधान कर दे। अगले जन्म में कोई भी मेरे द्वार से खाली हाथ ना लौटे।
भगवान ने उसे आशीर्वाद दिया कि," जैसा तुम ने समाधान चाहा वैसा ही फल तुम को प्राप्त हो।"
अगले जन्म में पहला व्यापारी नगर का सबसे बड़ा भिखारी बन गया क्योंकि उसने भगवान से अपनी समस्या का समाधान यह मांगा था कि," कभी भी कोई मुझ से कुछ मांगे ना बल्कि हर कोई मुझ को देकर जाए।"
दूसरे ने व्यापारी ने समस्या का समाधान मांगा था कि," कोई भी मेरे द्वार से खाली ना लौटे। इसलिए वह नगर का सबसे धनवान व्यक्ति बन गया जो हर जरूरतमंद की हर संभव मदद करता।"
समस्या दोनों व्यक्तियों की समान थी लेकिन एक का जीवन के प्रति नज़रिया सकारात्मक था और दूसरे का नकारात्मक था। इसलिए कहते हैं कि सारा खेल सोच का है कि हम किस चीज पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।
अगर हम अपने दिमाग में नकारात्मक विचार रखेंगे तो वह हमें सारी नकारात्मक परिणाम ही सुझाएगा लेकिन अगर हम सकारात्मक सोच अपनाएंगे तो हमारा दिमाग भी सकारात्मक परिणाम पर ही अपना ध्यान केंद्रित करेगा। इसलिए जीवन में हर एक नकारात्मक परिस्थिति में उसके पीछे की सकारात्मकता को ढूंढें।
अब सवाल यह है कि नकारात्मक परिस्थिति के पीछे सकारात्मक कैसे ढूंढे?
सकारात्मक और नकारात्मक सोच की कहानी
बार एक आदमी ने अपनी सारी जमा पूंजी से एक सुंदर घर बनवाया। गृह प्रवेश के एक दिन पहले उसके घर में आग लग गई और पूरा घर धू धू कर कर जलने लगा।
सब लोग आग बुझाने में लगे थे लेकिन वह आदमी बाज़ार गया और मिठाई का डिब्बा ले आया। जैसे ही वह मिठाई सब लोगों में बांटने लगा लोगों ने सोचा कि," शायद घर जलने के कारण इसको गहरा सदमा लगा है। इसलिए इसे समझ नहीं आ रहा कि ऐसे समय में कैसे रिएक्ट करना है।"
फिर किसी ने पूछा ही लिया कि भाई तेरा घर जल गया और तू लड्डू बांट रहा है। उत्तर सुनकर प्रश्न पूछने वाला निशब्द हो गया।
उस आदमी ने उत्तर दिया कि," आप लोग यह देख रहे हो कि गृह प्रवेश से पहले मेरा घर जल गया। लेकिन मैं सोच रहा हूं कि," अगर मैंने गृह प्रवेश कर लिया होता तब आग लगती तो मेरे घर के साथ-साथ मेरे परिवार वालों को भी नुकसान हो सकता था।" इसलिए मैं ईश्वर का धन्यवाद कर रहा हूं , आपने मेरे परिवार को बचा लिया। अगर जीवित रहे तो घर तो और भी बन जाएंगे। इसलिए सकारात्मक सोच के लिए नज़रिया सकारात्मक रखें।
सकारात्मक सोच(नज़रिया) की प्रेरणादायक कहानी
एक बार एक बहुत ही न्यायप्रिय, बहादुर और निडर राजा था। लेकिन एक युद्ध के दौरान उसे बहुत चोटें आईं। जिसमें उसका एक आंख और एक पैर क्षतिग्रस्त हो गया था। एक दिन राजा महल में अपने राजमहल में अपने पूर्वजों के चित्र देख रहा था सबके चित्रों में उनका शौर्य झलक रहा था। यह देखकर राजा का मन थोड़ा विचलित हो गया है कि मेरी तो एक आंख और एक पैर नहीं है। ऐसे में मेरी पेंटिंग से शौर्य कैसे नज़र आएंगा।
राजा विचार करने लगा कि मेरी पेंटिंग आने वाली पीढ़ियों ना जाने कैसी लगेगी ? क्योंकि मेरी तो एक आंख और एक पैर नहीं है। इसलिए राजा ने अपनी ऐसी पेंटिंग बनवाने का निश्चय किया जिसमें उसका शौर्य झलके और वह उसे अपने पूर्वजों की पेंटिंग के साथ गर्व से लगा सके।
राजा ने पूरे राज्य में घोषणा करवा दी गई कि," जो भी चित्रकार उसके शौर्य को दर्शाता हुआ चित्र बनाएंगा उसे स्वर्ण मुद्राएं ईनाम दी जाएगी।" लगभग सभी चित्रकारों ने चित्र बनाने से इंकार कर दिया क्योंकि उनके दिमाग ने यही विचार था कि बिना आंख और पैर वाले राजा का चित्र कैसे शौर्यपूर्ण बन सकता है। ऊपर से उन्हें भय था कि अगर राजा को पेंटिंग पसंद नहीं आई तो वह मृत्युदंड भी दे सकता है।
पूरे राज्य में केवल एक नौजवान ने ही राजा की पेंटिंग बनाने की हामी भरी। उसने घोषणा कर दी कि वह राजा कि ऐसी पेंटिंग बनाएंगा जो उसके शौर्य का प्रदर्शन करेंगी। बाकी सभी चित्रकार यह जानने को उत्सुक थे कि यह एक बिना आंख और पैर वाले राजा के शौर्य का प्रदर्शन करने वाली पेंटिंग कैसे बनेंगी।
जब नौजवान ने पेंटिंग बना दी तो पूरा नगर उसे देखने के लिए उमड़ पड़ा। जिसने भी पेंटिंग देखी उसके मुंह से यही निकला वाह! क्या शानदार पेंटिंग बनाई है। वाह! इसमें तो राजा का शौर्य झलक रहा है।
आप जानने के लिए उत्सुक होंगे कि नौजवान ने राजा की कैसी पेंटिंग बनाई थी। उस नौजवान ने राजा के जो अंग नहीं थे उससे ही राजा का शौर्य प्रदर्शित किया था। नौजवान ने राजा कि घोड़े कर बैठ कर अपने शत्रु पर निशाना साधते हुए कि पेंटिंग बनाई थी। उस पेंटिंग में राजा का जो पैर नहीं था वह घोड़े पर बैठा दिखाने पर दूसरी ओर से नज़र नहीं आ रहा था और राजा कि जो आंख नहीं थी उसे निशाना साधते समय बंद दिखाया गया था।
जब बाकी के चित्रकारों ने उस से प्रश्न किया कि यह विचार तुम को कैसे आया। नौजवान ने उत्तर दिया कि फर्क नज़रिये का है तुम लोग अपने दिमाग में बस समस्या पर फोकस कर रहे कि बिना आंख और पैर वाला राजा का चित्र में शौर्य नहीं दिखाया जा सकता। लेकिन मेरा नज़रिया आप लोगों से भिन्न था।
मैंने अपना पूरा ध्यान इस ओर केंद्रित किया कि राजा की उस कमी को उसका शौर्य दिखाने में कैसे उपयोग कर सकते हैं।
इन कहानियों के माध्यम से आपको जीवन में सकारात्मक सोच के जीवन में क्या प्रासंगिकता है समझ में आ गया होगा। इसलिए जब भी जीवन में कोई मुश्किल आए तो सकारात्मक रहा कर समस्या पर नहीं समाधान पर ध्यान केन्द्रित करें।
इसलिए अगली बार जब भी किसी समस्या के आने पर दिमाग नकारात्मक विचारों की ओर जाए तो एपीजे अब्दुल कलाम की यह quote याद कर लेना कि," जीवन में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने नहीं आती हैं ,बल्कि यह हमारी छुपी हुई समर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं ,कठिनाइयों को यह जान लेने दो कि आप उनसे ज्यादा कठिन है।"
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