HANUMAN STORY HANUMAN JI KI KATHA

HANUMAN STORY IN HINDI HANUMAN BIRTH STORY HANUMAN JI KI STORY

हनुमान जी की कहानी हिन्दी में

Hanuman story in hindi;हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं। उनके पिता का नाम केसरी इसलिए हनुमान जी को केसरी नंदन और माता का नाम अंजना था इसलिए उनको अंजनेय कह कर पुकारा जाता है। हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं। हनुमान जी का जन्म श्री राम के कार्य के लिए हुआ था। 

हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के दाता हैं। हनुमान जी को ऐसा वरदान मां सीता ने प्रदान किया था। ऐसा माना जाता है कि अगर हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त करनी है तो हनुमान जी के सामने राम नाम का जाप करना चाहिए। भक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करते हैं। इस आर्टिकल में आपको हनुमान जी के जीवन से जुड़ी कहानियां बताने जा रहे हैं।‌

HANUMAN BIRTH STORY हनुमान जन्म कथा

हनुमान जी की माता अंजना पूर्व जन्म में पुंजिकस्थला नाम की अप्सरा थी। वह स्वभाव से बहुत चंचल थी। एक बार उन्होंने तपस्या कर रहे ऋषि के साथ शरारत कर दी। ऋषि ने श्राप दिया कि तुम स्वभाव से वानर के जैसे हो इसलिए जाओ वानरी हो जाओ।

 अप्सरा ने ऋषि से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। ऋषि कहने लगे कि मैं तुमको आशीर्वाद देता हूं कि तुमको एक यशस्वी पुत्र पैदा होगा। उसकी कीर्ति युगों- युगों तक गाई जाएगी। तुम को उसकी माता के रूप में स्मरण किया जाएगा।

 ऋषि के शाप के अनुसार अप्सरा ने वानरी के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया। उनका विवाह केसरी नाम के वानर से हुआ जो अपनी इच्छा अनुसार पुरुष रूप में आ सकते थे।

एक बार एक हाथी ऋषियों की तपस्या में विध्न उत्पन्न कर रहा था तो वनराज केसरी ने उस हाथी के दांत तोड़ कर उसका वध कर दिया। सभी ऋषियों वानर राज केसरी से प्रसन्न होकर उनको वर दिया कि उनको पवन के समान पराक्रमी, इच्छा अनुसार रूप धारण करने वाले और रूद्र के समान पुत्र होगा।

 एक बार अंजना माता पर्वत की चोटी पर जा रही थी तो अचानक से उनके वस्त्रों को पवन उड़ाने लगी और उनके आंतरिक अंगों में प्रवेश कर गई तो अंजना माता ने पूछा कि यह अदृश्य शक्ति कौन है जो मेरे पतिव्रत को तोड़ना चाहती है।

 पवन देव कहने लगे कि मैंने आपके शरीर में इसलिए प्रवेश किया है ताकि आपको महान और तेजस्वी पुत्र प्राप्त हो सके।  क्योंकि ऋषियों ने आपके पति को पवन के समान पराक्रमी और रूद्र के समान पुत्र प्राप्ति का वर दिया है। पवनदेव कहने लगे कि'"मेरे स्पर्श से ही भगवान रूद्र आपके पुत्र के रूप में प्रविष्ट होकर आपके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे।"

 हनुमान जी वायुदेव के औरस पुत्र थे। उनमें पवनदेव के समस्त गुण विद्यमान थे। वह उड़कर कहीं भी आ जा सकते थे। इसलिए हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है।

 एक अन्य कथा के अनुसार हनुमान जन्म कथा 

हनुमान जी माता का नाम अंजनी और पिता का नाम केसरी था। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए श्रृंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया तो अग्निदेव हाथ में चरू हविष्यान्न (खीर)लेकर प्रकट हुए।

उन्होंने राजा से कहा कि आप जैसा उचित समझे वैसे इसे अपनी रानियों में बांट दे। राजा ने खीर का एक भाग कौशल्या, एक भाग कैकयी और 2 भाग सुमित्रा में बांट दिए।

खीर का एक भाग एक पक्षी उस स्थान पर लेकर गया यहां हनुमान जी की माता अंजना तप कर रही थी। तप के दौरान जब खीर उनके हाथ पर गिरी तो उन्होंने भगवान शिव का प्रसाद समझ कर उसे ग्रहण कर लिया। उसी के फलस्वरुप हनुमान जी का जन्म हुआ माना जाता है।

 हनुमान जी का सूर्य को फल समझकर खाना

हनुमान जी बचपन में बहुत नटखट थे और शक्तिशाली थे। एक बार उनको भूख लगी तो उन्होंने मां अंजनी से भोजन मांगा मां कहने लगी के पुत्र बाहर जाकर फल खा लो। जब हनुमान जी की दृष्टि सूर्य पर पड़ी तो हनुमान जी को लगा कि यह फल है हनुमान जी उड़कर सूर्य देव के पास पहुंच गए और सूर्यदेव को मुख में रख लिया। जिससे सृष्टि में चारों ओर अंधकार हो गया सभी देवता व्याकुल होकर इंद्रदेव के पास पहुंचे।

इंद्रदेव ने हनुमान जी की ठोड़ी पर प्रहार कर दिया। जिससे हनुमान जी मूर्छित हो गए। पवन देव नाराज हो गए और हनुमान जी को लेकर एक गुफा में चले गए। पवनदेव ने क्रोधित होकर वायु का संचार रोक दिया। जिससे सृष्टि के जीव तड़पने लगे। सभी व्याकुल होकर ब्रह्मा देव के पास पहुंचे। ब्रह्मा देव वहां पहुंचकर हनुमान जी के जीवन का संचार कर दिया और वायु देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर पुनः वायु का संचार कर दिया।

इंद्रदेव ने हनुमान जी को अपनी गदा प्रदान की। इंद्रदेव के वज्र से हनुमान जी की ठुड्डी( जिसे संस्कृत में हनु कहते हैं) टूट गई थी। इसलिए उनका नाम हनुमान प्रसिद्ध हुआ। 

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