नवरात्रि में पढ़ें मां दुर्गा की कथा
Maa Durga birth story/ Maa Durga ki utpatti ki katha / Navratri festival mein maa durga ke kaun ke nav roop ki pooja ki jati haiGODDESS DURGA:मां दुर्गा हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है। उन्हें आदिशक्ति, भगवती , जगदम्बा, भगवती आदि कई नामों से जाना जाता है। मां दुर्गा की उत्पत्ति दैत्यों के सर्वनाश के लिए हुईं थीं। मां दुर्गा शेर की सवारी करती है। मां दुर्गा शक्ति ,तेज और समर्थ्य की प्रतीक है। शेर प्रतीक है शौर्य और आक्रामकता का।शेर की दहाड़ को मां दुर्गा की ध्वनि माना जाता है।
मां दुर्गा का नाम दुर्गमासुर नामक दैत्य का वध करने के कारण पड़ा था। मां दुर्गा भगवान शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप मानी जाती है।
नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा अपने भक्तों के संग रहती है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त आरती, चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है।
मां दुर्गा की जन्म कथा
Maa Durga birth story
एक बार महिषासुर राक्षस ने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी कहने लगे कि अमरता का वरदान नहीं दे सकता तुम कोई और वर मांग लो। महिषासुर कहने लगा कि, मुझे ऐसा वरदान दे कि मेरी मृत्यु किसी स्त्री के द्वारा ही हो। ब्रह्मा जी उसे वरदान दे दिया। ब्रह्मा जी से ऐसा वरदान प्राप्त कर महिषासुर स्वयं को अमर समझने लगा क्योंकि उसे अहंकार था कि एक स्त्री कहां मुझे मार पाएंगी।
महिषासुर ने देवताओं के अधिकार छीन कर स्वर्ग लोक से निष्कासित कर दिया। देवता असुरों के अत्याचार ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। चुके थे। ब्रह्मा जी ने कहने लगे कि,"महिषासुर का वध केवल कुवांरी कन्या के हाथों से होगा।"
ब्रह्मा जी की बात सुनकर सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों से देवी को प्रकट किया। सभी देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने। भगवान शिव के तेज से मां का मुख, विष्णु तेज से भुजाएं, ब्रह्मा जी के तेज से मां के चरण, यमराज के तेज से मस्तक, स्तन चंद्रमा के तेज से, नितंब पृथ्वी के तेज से, प्रजापति के तेज से दांत उत्पन्न हुए। नैत्र अग्नि तेज से, संध्या के तेज से भौंहें और वायु तेज से कान बने इस तरह सभी देवताओं के तेज से मिलकर देवी के भिन्न अंग बने।
देवताओं ने महिषासुर का नाश करने के लिए अस्त्र-शस्त्र देवी को दिए। भगवान शिव ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, अग्नि ने शक्ति और बाणों से भरा तरकश, प्रजापति ने मणियों की माला, वरूण ने शंख, इंद्र ने वज्र, ब्रह्मा जी ने चारों वेद और हिमालय ने सवारी करने के लिए सिंह प्रदान किया।
सभी देवताओं के शक्तियां प्रदान करने के कारण देवी के पास अतुलित शक्तियां आ गई। मां दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा दोनों के बीच 9 दिन तक युद्ध चला और महिषासुर का वध करने के कारण माँ का नाम महिषासुर मर्दिनी पडा़। मां दुर्गा आदिशक्ति हैं सभी देवता उनकी शक्ति से शक्तिमान होकर कार्य करते हैं।
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